नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है

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*🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀*



*✔️ (पार्ट 11)*

✏️ पहले बात करते हैं तहारते सुगरा (यानी वुज़ू) और हदसे असगर यानी वुज़ू के तोड़ने वाली चीज़ों के बारे में।

वुज़ू में 4 बातें फर्ज़ हैं यानी इन चारों का करना बहुत ज़रूरी है, अगर इन में से एक भी छूट जाये तो वुज़ू नहीं होगा।

(1) मुँह धोना।
(2) कोहनियों समेत दोनों हाथों का धोना।
(3) सर का मसहा करना।
(4) टखनों समेत दोनों पाऊँ को धोना।

इनकी तफ़सील जानने से पहले ये जान लीजिये कि धोना किसे कहते हैं?
किसी भी उज़्व (हिस्से, पार्ट) को धोने का ये मतलब है कि उस उज़्व के हर हिस्से पर कम से कम दो बूँद पानी बह जाये। अगर कोई हाथ भिगा कर चेहरे पर मल ले तो इसे धोना नहीं कहा जायेगा या कपड़ा भिगा कर मुँह पोछ ले तो भी धोना नहीं कहा जायेगा जब तक हर हिस्से पर कम से कम 2 बूँद पानी ना बह जाये तब तक वो उज़्व धुला हुआ क़रार नहीं दिया जायेगा।
भीग जाना, तेल की तरह पानी मल लेना या एक बूँद बह जान अलग है और धोना लेना अलग है।

इस पर खास तवज्जोह देना ज़रूरी है कि बाज़ हिस्से ऐसे हैं कि अगर तवज्जोह ना दी जाये तो वहाँ सहीह से पानी नहीं पहुँचता और गुस्ल और वुज़ू नहीं होता और फिर पढ़ी गई नमाज़ें अकारत जाती हैं।

अब इन चारों फराइज़ की तफ़सील ये है कि :

(1) मुँह धोना : मुँह कहते हैं शुरू पेशानी (यानी जहाँ से बाल निकलते हैं वहाँ) से नीचे ठोड़ी तक, फिर चौड़ाई में एक कान की लौ से दूसरे तक।
ये मुँह है यानी इसे धोना फर्ज़ है।

*✔️ जारी है.......*



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*🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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