नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है
🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴
*🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀*
*✔️ (पार्ट 09)*
✏️ अब जब आप ये इस्तिलाहात जान चुके तो फिर आते हैं नमाज़ की पहली शर्त तहारत की तरफ़।
तहारत नमाज़ के लिये इतनी ज़रूरी है कि बगैर इस के नमाज़ होगी ही नहीं।
अगर कोई जान बूझ कर नापाकी की हालत में नमाज़ पढ़ता है तो इसे उलमा ने कुफ्र तक लिखा है यानी वो काफ़िर हो जायेगा क्योंकि उसने नमाज़ को हल्का जाना और इबादत की तौहीन की।
हुज़ूर ﷺ ने तहारत को नमाज़ की कुंजी बताया है। (मुस्नद अहमद) और तहारत की आधा ईमान कहा गया है। (तिर्मज़ी)
अगर तहारत कामिल ना हो तो नमाज़ पढ़ाने वाले इमाम को भी परेशानी होती है मतलब नमाज़ के दौरान उसे शुब्हा होता है और फिर दो रकाअ़त के बाद बैठने के बजाये इमाम खड़ा हो जाता है या सलाम फेरने के बजाये खड़ा होने लगता है, इस की एक वजह ये भी है कि मुक़्तदियों की तहारत कामिल नहीं होती
ये तो तहारत कामिल ना होने की बात थी तो सोचिये कि जो नापाक हों उसका हुक्म कितना सख्त होगा?
तहारत दो तरह की हैं और नापाकी भी दो तरह की, एक है तहारते सुगरा और एक है तहारते कुब्रा और नापाकी में एक को कहते हैं हदसे असगर और एक को हदसे अकबर यानी एक छोटी और एक बड़ी नापाकी।
छोटी नापाकी के लिये छोटी तहारत और बड़ी नापाकी के लिये बड़ी तहारत।
अगर कोई पेशाब करे या हवा निकाल जाये तो ये नहीं कहा जायेगा कि उसे गुस्ल करना होगा क्योंकि गुस्ल तहारते कुब्रा है और पेशाब और हवा का निकलना हदसे असगर है तो हदसे असगर से पाक होने के लिये वुज़ू किया जायेगा क्योंकि ये तहारते सुगरा है।
इसी तरह अगर किसी ने अपनी बीवी से सोहबत की तो ये नहीं होगा कि वुज़ू कर के पाक हो जाये क्योंकि यहाँ तहारते कुब्रा की ज़रूरत Hai।
*✔️ जारी है.......*
👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑
*🏁 मसलके आला हजरत 🔴*
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें