नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है
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*🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀*
*✔️ (पार्ट 3)*
✏️ नमाज़ एक ऐसी इबादत है कि इस में नाइबत जारी नहीं हो सकती यानी आप किसी को अपना नाइब (Vice) नहीं बना सकते कि मेरे बदले में तुम पढ़ देना बल्कि जिस पर फर्ज़ है, उसे ही अदा करनी होगी।
अगर किसी ने अपनी ज़िन्दगी में कई नमाज़ें क़ज़ा की और इन्तिक़ाल कर गया और वसीयत की कि उस की तरफ़ से फिदया अदा किया जाये तो ये किया जा सकता है और इसे आगे तफ़सील से बयान करेंगे।
अब हम पहले नमाज़ के शराइत (Conditions) बयान करेंगे।
इन शराइत में से किसी एक में भी कमी हुई तो नमाज़ होना तो दूर की बात, नमाज़ शुरू'अ़ ही नहीं होगी।
ये ऐसी चीज़ें हैं कि अगर आप इन्हें पूरा करते हैं तो ही आप नमाज़ पढ़ने के क़ाबिल कहलायेंगे, वरना आप नमाज़ शुरू'अ़ ही नहीं कर सकते। फिर नमाज़ शुरू'अ़ हो जाने के बाद जो कंडीशन हैं (जिसे फराइज़े नमाज़) कहते हैं, वो अलग हैं।
नमाज़ की 6 शर्तें हैं :
(1) तहारत
(2) सित्रे औरत
(3) इस्तिक़्बाले क़िब्ला
(4) वक़्त
(5) निय्यत
(6) तकबीरे तहरीमा
अब इनकी तफ़सील बयान की जायेगी।
*🔛 जारी है.......*
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*🏁 मसलके आला हजरत 🔴*
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