मग़रिब और इशा की नमाज़ कब तक पढ़ी जा सकती है
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*🥀 मग़रिब और इशा की नमाज़ कब तक पढ़ी जा सकती है 🥀*
*✏️काफी लोग थोड़ा सा अँधेरा होते ही यह ख़्याल करते हैं कि मग़रिब की नमाज़ का वक्त निकल गया,अब नमाज़ क़ज़ा हो गई और बे वजह नमाज़ छोड़ देते हैं या क़ज़ा की नियत से पढ़ते हैं मग़रिब की नमाज़ का वक्त सूरज डूबने के बाद से लेकर शफ़क़ तक है और शफ़क़ उस सफेदी का नाम है जो पच्छिम की तरफ़ सुर्खी डूबने के बाद उत्तर दक्खिन सुब्हे सादिक़ की तरफ़ फैलती है*
*✏️हाँ मग़रिब की नमाज़ जल्दी पढ़ना मुस्तहब है और बिला उज़्र दो रकाअतों की मिक़दार देर लगाना मकरुहे तऩज़ीही यानि खिलाफ़े औला है-और बिला उज़्र इतनी देर लगाना जिस में कसरत से सितारे ज़ाहिर हो जायें मकरुहे तह़रीमी और गुनाह है*
*📚अहकामे शरीयत सफह 137*
*📚ब- ह़वाला गलत फहमियां और उनकी इस्लाह सफह 36*
*✏️हाँ अगर न पढ़ी हो तो पढ़े और जब तक इशा का वक्त शुरू नहीं हुआ है अदा ही होगी,क़ज़ा नहीं,और यह वक्त सूरज डूबने के बाद कम से कम एक घन्टा अट्ठारह मिनट और ज़्यादा से ज़्यादा एक घन्टा पैंतीस मिनट है जो मौसम के लिहाज़ से घटता बढ़ता रहता है,यानि एक घन्टे के ऊपर 18 से 35 मिनट के दरमियान घूमता रहता है,इशा की नमाज़ के बारे में भी कुछ लोग समझते हैं कि उसका वक्त 12 बजे तक रहता है यह भी ग़लत है, इशा की नमाज़ का वक्त फज्रे सादिक़ तुलू होने यानि सहरी का वक्त ख़त्म होने तक रहता है,हाँ बिला वजह तिहाई रात से ज़्यादा देर करना मकरुह है*
*📚ग़लत फहमियां और उनकी इस्लाह सफह 37*
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*🏁 मसलके आला हजरत 🔴*
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