नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है

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*🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀*



*✔️ पार्ट 49*

✏️ वित्र नमाज़ का बयान :

तीसरी रकअ़त में क़िरअत करने के बाद रुकूअ़ में जाने से पहले हाथों को कानों तक उठा कर अल्लाहु अकबर कहे जैसा कि तकबीरे तहरीमा में करते हैं फिर हाथ बाँध ले और दुआ -ए- क़ुनूत पढ़े और ये दुआ पढ़ना वाजिब है और इस में किसी खास दुआ का पढ़ना ज़रूरी नहीं है।
हुज़ूर ﷺ से जो दुआयें साबित हैं उन्हेँ पढ़ा जाये और इसके इलावा कोई दुआ पढ़े तो भी हर्ज नहीं।
सब से मशहूर दुआ ये है :

اَللّٰھُمَّ اِنَّا نَسْتَعِیْنُکَ وَ نَسْتَغْفِرُکَ وَ نُؤْمِنُ بِکَ وَ نَتَوَکَّلُ عَلَیْکَ وَنُثْنِیْ عَلَیْکَ الْخَیْرَ کُلَّہٗ وَنَشْکُرُکَ وَلَا نَکْفُرُکَ وَ نَخْلَعُ وَنَتْرُکُ مَنْ یَّفْجُرُکَ ط اَللّٰھُمَّ اِیَّاکَ نَعْبُدُ وَلَکَ نُصَلِّیْ وَنَسْجُدُ وَاِلَیْکَ نَسْعٰی وَنَحْفِدُ وَنَرْجُوْ رَحْمَتَکَ وَنَخْشٰی عَذَابَکَ اِنَّ عَذَابَکَ بِالْکُفَّارِ مُلْحِقٌ

बेहतर ये है कि इस दुआ के साथ ये दुआ भी पढ़े जो हुज़ूर ﷺ ने इमाम हसन रदिअल्लाहु त'आला अ़न्हु को तालीम फ़रमायी :

اَللّٰھُمَّ اھْدِنِیْ فِیْ مَنْ ھَدَیْتَ وَعَافِنِیْ فِیْ مَنْ عَافَیْتَ وَ تَوَلَّنِیْ فِیْ مَنْ تَوَلَّیْتَ وَ بَارِکْ لِیْ فِیْ مَا اَعْطَیْتَ وَقِنِیْ شَرَّ مَا قَضَیْتَ فَاِنَّکَ تَقْضِیْ وَلَا یُقْضٰی عَلَیْکَ اِنَّہٗ لَا یَذِلُّ مَنْ وَّالَیْتَ وَلَا یَعِزُّ مَنْ عَادَیْتَ تَبَارَکْتَ وَ تَعَالَیْتَ سُبْحَانَکَ رَبَّ الْبَیْتِ وَ صَلَّی اللہ عَلَی النَّبِیِّ وَاٰلِہٖ

एक दुआ वो है जो हज़रते अ़ली रदिअल्लाहु त'आला अ़न्हु से मरवी है कि हुज़ूर ﷺ वित्र के आखिर में पढ़ते :

اَللّٰھُمَّ اِنِّیْ اَعُوْذُ بِرَضَاکَ مِنْ سَخَطِکَ وَمُعَافَاتِکَ مِنْ عُقُوْبَتِکَ وَاَعُوْذُ بِکَ مِنْکَ لَا اُحْصِیْ ثَنَآئً عَلَیْکَ اَنْتَ کَمَا اَثْنَیْتَ عَلیٰ نَفْسِکَ

*जारी है.......*



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