नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है

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*🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀*



*✔️ (पार्ट 08)*

✏️ फर्ज़ का मुक़ाबिल (Opposite) हराम है, वाजिब का मकरूहे तहरीमी, सुन्नते मुअ़क्किदा का इसाअ़त, सुन्नते गैरे मुअ़क्किदा का मकरूहे तन्ज़ीही और मुस्तहब का खिलाफे अवला।
इसका ये मतलब भी है कि जो काम फर्ज़ है उसे छोड़ना हराम है और जो हराम है उस से बचना फर्ज़ है।
जो वाजिब है उस का तर्क मकरूहे तहरीमी है और जो मकरूहे तहरीमी है उस से बचना वाजिब है।
जो सुन्नते मुअ़क्किदा है उसे छोड़ना इसा'अ़त है और इसा'अ़त से बचना सुन्नते मुअ़क्किदा है।
जो सुन्नते गैरे मुअ़क्किदा है उसे छोड़ना मकरूहे तन्ज़ीही है और मकरूहे तन्ज़ीही से बचना सुन्नत।
जो मुस्तहब है उस का उल्टा करना खिलाफे अवला है और खिलाफे अवला से बचना मुस्तहब है और आखिर में मुबाह है जिस का करना, ना करना एक जैसा है लेकिन कभी-कभी मुबाह अच्छी निय्यतों की वजह से मुस्तहब भी बन जाता है।

इनका ताल्लुक़ नमाज़ से इस तरह भी है कि नमाज़ में फर्ज़ छूट जाने पर नमाज़ दोहराना फर्ज़ है, वाजिब छूट जाने पर नमाज़ दोहराना वाजिब है, सुन्नत छूट जाने पर सुन्नत और मुस्तहब छूट जाने पर मुस्तहब।

*✔️ जारी है.......*



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*🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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