नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है

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*🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀*



*✔️ पार्ट 34*

✏️वित्र नमाज़ का बयान :
वित्र वाजिब है, अगर सहवन (भूल कर) या क़स्दन (जान बूझ कर) ना पढ़ा तो क़ज़ा वाजिब है।

साहिबे तरतीब के लिये मसअला अलग है कि अगर ये याद है कि वित्र की नमाज़ नहीं पढ़ी है और वक़्त है कि पढ़ लेगा तो फ़ज्र की नमाज़ फ़ासिद है चाहे शुरू में याद आये या दरमियान में याद आ जाये।

साहिबे तरतीब किसे कहते हैं?
ये जान लेना ज़रूरी है कि साहिबे तरतीब कौन लोग हैं।

अ़ल्लामा मुफ्ती शरीफुल हक़ अमजदी रहीमहुल्लाहु त'आला लिखते हैं कि साहिबे तरतीब वो है जिस के जिम्मे 5 वक़्त की नमाज़ें ना हो।

(فتاوی شارح بخاری، ج3، ص227)

अ़ल्लामा मुफ्ती हबीबुल्लाह नईमी अशरफ़ी रहीमहुल्लाह त'आला लिखते हैं कि साहिबे तरतीब वो शख्स है जिस की वक़्ते बुलूग (यानी बालिग होने के बाद) से कोई नमाज़ क़ज़ा ही ना हुई हो और अगर हुई भी हो तो क़ज़ा पढ़ चुका हो या उस पर पाँच नमाज़ों की या इस से कम की क़ज़ा लाज़िम हो (यानी उस के ज़िम्मे 5 से ज़्यादा नमाज़ें ना हो)

(حبیب الفتاوی، ص431)

*जारी है.......*



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*🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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