नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है

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*🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀*



*✔️ आखिरी पार्ट 65*

✏️ अगर क़ुरआने करीम जुज़दान में हो तो जुज़दान को हाथ लगाने में हर्ज नहीं है।

किसी ऐसे कपड़े से भी क़ुरआन को पकड़ सकते हैं जो ना अपना ताबे हो ना क़ुरआन का यानी वो कपड़ा ना क़ुरआन के साथ मुन्सलिक हो ना अपने कपड़ों के साथ जैसे अगर कुर्ते का दामन या आस्तीन, दुपट्टा और चादर जिसका एक कोना काँधे पर हो और दूसरे से क़ुरआन पकड़े तो ये हराम है क्योंकि ये सब इसके ताबे हैं और क़ुरआन मजीद की चोली क़ुरआन के ताबे है लिहाज़ा किसी तीसरे कपड़े की मदद से पकड़ सकते हैं जैसे रुमाल वग़ैरह।

क़ुरआन की आयात को नापाकी की हालत में सना कि निय्यत से पढ़ सकता है जैसे बिस्मिल्लाह पढ़ना और छींक आने पर अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ना और किसी के इंतिक़ाल पर इन्ना लिल्लाहि वग़ैरह पढ़ना, इन में हर्ज नहीं लेकिन तिलावत की निय्यत से नहीं पढ़ सकता।

यूँ ही क़ुल का लफ्ज़ हटा कर सूरतुल इखलास वग़ैरह पढ़ सकता है जबकि सना की निय्यत हो और क़ुल के लफ्ज़ के साथ नहीं पढ़ सकता अगरचे निय्यत सना की हो क्योंकि अब क़ुरआन होना मुतअय्यन है।

*आखरी पोस्ट.......*



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*🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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