नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है

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 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀*



 *✔️ (पार्ट 6)*

✏️ फर्ज़ : फर्ज़ उसे कहते हैं जो दलीले क़तई से साबित हो यानी ऐसी दलील जिस में कोई शुब्हा ना हो।
फर्ज़ को अदा करना बहुत ज़रूरी है, इस को तर्क करने वाला सख्त गुनाहगार और अज़ाबे जहन्नम का मुस्तहिक़ है और जो इसका इन्कार करे वो काफ़िर है।

वाजिब : वाजिब उसे कहते हैं जो दलीले ज़न्नी से साबित हो, इस का अदा करना भी ज़रूरी है और जो तर्क करे गुनाहगार है, इस का इन्कार करने वाला गुमराह है।

सुन्नते मुअ़क्किदा : जो काम हुज़ूर ﷺ ने हमेशा किया हो, अलबत्ता बयाने जवाज़ के लिये कभी तर्क भी किया हो, उसे सुन्नते मुअ़क्किदा कहते हैं।
इस का अदा करना ज़रूरी है और कभी कभार छोड़ने वाले पर इताब और आदतन छोड़ना इस्तिहक़ाक़े अज़ाब है।

सुन्नते गैरे मुअ़क्किदा : वो जो शरीअ़त की नज़र में पसंदीदा हो लेकिन इसके छोड़ने पर कोई वईद भी नहीं।
इस का करना सवाब लेकिन छोड़ने वाला गुनाहगार नहीं अगर्चे आदतन हो, हाँ इस का तर्क शरीअ़त को ना पसंद है।

मुस्तहब : वो जो शरीअ़त की नज़र में पसंदीदा हो लेकिन इसे छोड़ना नापसंद भी ना हो।
अगर्चे हुज़ूर ﷺ ने किया हो या तरगीब दी हो या उलमा ने पसंद किया हो अगर्चे अहादीस में ज़िक्र ना हो, इस का करना सवाब है और ना करने पर मुत्लक़न कोई हुक्म नहीं।

मुबाह : जिस का करना या ना करना एक जैसा हो यानी ना सवाब ना गुनाह।

*✔️ जारी है.......*



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*🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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