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टोपी मोड़ कर नमाज़ पढ़ना कैसा है*01

🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🌹ﺃﻋﻮﺫ ﺑﺎﻟﻠﻪ ﻣﻦ ﺍﻟﺸﻴﻄﺎﻥ ﺍﻟﺮﺟﻴﻢ 🌹ﺑِﺴْــــــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ* *🌹السلام علیکم ورحمۃ اللہ وبر ر کا تہ* *🌹الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ* *🧮 पोस्ट 045▪️* *📝 सवाल-;* *📇     टोपी मोड़ कर नमाज़ पढ़ना कैसा है* *✍️ जवाब-;* *📇    जाड़े के मौसम में ऊनी टोपी मोड़ कर पहनने का जो रिवाज है वो शरअ़न कफे सौब नहीं क्योंकि फुक़हा की इस्तिलाह में "कफे सौब" (कपड़ा मोड़ना) ये है कि आदत के ख़िलाफ़ कपड़ा को मोड़ कर इस्तिमाल किया जाए और यहाँ ऐसा नहीं है ये टोपी आम तौर पर मोड़ कर ही इस्तिमाल करने की आदत है बल्कि बहुत सी टोपियाँ यूँहीं मोड़ कर ही पहनी जाती हैं इसीलिए जाइज़ है और इस की वजह से नमाज़ में ज़र्रा बराबर भी कराहत ना आएगी आला हज़रत मुहद्दिसे बरेलवी رحمتہ اللہ تعالیٰ علیہ तहरीर फ़रमाते हैं कि किसी कपड़े को ऐसा ख़िलाफ़े आदत पहनना जिसे मुहज़्ज़ब आदमी मजमा या बाज़ार में ना कर सके और करे तो बे अदब ख़फ़ीफुल हरकात समझा जाए ये भी मकरूह है।* *📚 فتاویٰ مرکز تربیت افتا، ج1 ص241* ________________________ ________________________ *💉 अपनी औलादो में आला हज़रत की मोहब...

नमाज़ में खुजाना कैसा है*01

🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🌹ﺃﻋﻮﺫ ﺑﺎﻟﻠﻪ ﻣﻦ ﺍﻟﺸﻴﻄﺎﻥ ﺍﻟﺮﺟﻴﻢ 🌹ﺑِﺴْــــــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ* *🌹السلام علیکم ورحمۃ اللہ وبر ر کا تہ* *🌹الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ* *🧮 पोस्ट 041▪️* *📝 सवाल-;* *📇     नमाज़ में खुजाना कैसा है* *✍️ जवाब-;* *📇     एक रुक्न में 3 बार खुजाने से नमाज़ फासिद् हो जाती है यानि यु कि खुजा कर हाथ हटा लिया फिर खुजाया फिर हाथ हटा लिया ये दो बार हुवा अगर अब इसी तरह तीसरी बार किया तो नमाज़ जाती रहेगी अगर एक बार हाथ रख कर चन्द बार हरकत दी तो ये एक ही मर्तबा खुजाना कहा जाएगा* *📚 फ़तावा आलमगीरी 1 104* ________________________ ________________________ *💉 अपनी औलादो में आला हज़रत की मोहब्बत डाल दो वरना बड़े होकर अपने मां बाप की कब्र पर जाना भी 😝शिर्क समझेंगे।* *🔛((((( अगली पोस्ट जल्द )))))* 🖼🖼🖼🖼🖼🖼🖼🖼🖼🖼 *👏🏁 गदा ए फ़कीर रज़वी क़ादरी हनफ़ी बरेलवी 🔴* *جزاک اللہ خیر* https://chat.whatsapp.com/CoTrYIar9XdB3OW6o2jeiX

नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है

🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 58* ✏️ (6) किसी को ख्वाब हुआ और मनी निकलने से पहले आँख खुल गई और अपने आले को पकड़ लिया जिस से मनी बाहर ना आयी फिर बाद में बाहर आयी तो गुस्ल फर्ज़ है। (7) नमाज़ के अन्दर शहवत के साथ मनी निकलती हुई मालूम हुई लेकिन ना निकली और नमाज़ के बाद निकली तो गुस्ल फर्ज़ हो जायेगा और जो नमाज़ पढ़ी वो हो गयी। (8) रात को एहतिलाम हुआ और जागा तो कपड़े पर कोई असर ना था फिर वुज़ू कर के नमाज़ पढ़ ली और उसके बाद मनी खारिज हुई तो गुस्ल फर्ज़ हो जायेगा और नमाज़ हो गयी। (9) अगर औरत को ख्वाब आया तो जब तक मनी फर्जे दाखिल से बाहर ना आये गुस्ल फर्ज़ नहीं। (10) लड़का एहतिलाम के साथ बालिग हुआ तो उस पर गुस्ल फर्ज़ है। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है

🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ आखिरी पार्ट 65* ✏️ अगर क़ुरआने करीम जुज़दान में हो तो जुज़दान को हाथ लगाने में हर्ज नहीं है। किसी ऐसे कपड़े से भी क़ुरआन को पकड़ सकते हैं जो ना अपना ताबे हो ना क़ुरआन का यानी वो कपड़ा ना क़ुरआन के साथ मुन्सलिक हो ना अपने कपड़ों के साथ जैसे अगर कुर्ते का दामन या आस्तीन, दुपट्टा और चादर जिसका एक कोना काँधे पर हो और दूसरे से क़ुरआन पकड़े तो ये हराम है क्योंकि ये सब इसके ताबे हैं और क़ुरआन मजीद की चोली क़ुरआन के ताबे है लिहाज़ा किसी तीसरे कपड़े की मदद से पकड़ सकते हैं जैसे रुमाल वग़ैरह। क़ुरआन की आयात को नापाकी की हालत में सना कि निय्यत से पढ़ सकता है जैसे बिस्मिल्लाह पढ़ना और छींक आने पर अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ना और किसी के इंतिक़ाल पर इन्ना लिल्लाहि वग़ैरह पढ़ना, इन में हर्ज नहीं लेकिन तिलावत की निय्यत से नहीं पढ़ सकता। यूँ ही क़ुल का लफ्ज़ हटा कर सूरतुल इखलास वग़ैरह पढ़ सकता है जबकि सना की निय्यत हो और क़ुल के लफ्ज़ के साथ नहीं पढ़ सकता अगरचे निय्यत सना की हो क्योंकि अब क़ुरआन होना मुतअय्यन है। *आखरी पोस्ट.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत ...

नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है

🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 64* ✏️ रमज़ान की रात में अगर जुनूब हुआ तो बेहतर यही है कि फज्र से पहले नहा ले ताकि रोज़े का हर हिस्सा जनाबत (नापाकी) से खाली हो। अगर पहले ना नहा सका और दिन निकल आया और नमाज़ क़ज़ा हो गयी तो इस से रोज़े पर फर्क़ नहीं पड़ेगा। ऐसा करना रमज़ान के इलावा भी गुनाह है और रमज़ान में और ज़्यादा गुनाह है। अगर फज्र से पहले ना नहा सके तो गरगरा कर ले और नाक में पानी डाल ले, ये दो काम फज्र से पहले कर ले फिर बाद में गुस्ल कर ले क्योंकि रोज़े की हालत में ये दोनों सही से नहीं होंगे और गरगरा करते वक़्त पानी अन्दर जा सकता है। जिस पर गुस्ल फर्ज़ हो उस का मस्जिद में जाना, क़ुरआन शरीफ़ को छूना, या बिना छुये देख कर या ज़ुबानी पढ़ना, या आयात का लिखना, या तवाफ़ करना, या किसी ऐसी तावीज़ को छूना जिस में आयत लिखी हो, या ऐसी अँगूठी छूना या पहनना, ये सब हराम है। *जारी है........* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है

🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 63* ✏️ जिस पर गुस्ल फर्ज़ है उसे चाहिये कि नहाने में देर ना करे। सुनन अबू दाऊद की हदीस कि जिस घर में जुनूब हो (यानी जिस पर गुस्ले जनाबत फर्ज़ हो) उस घर में रहमत के फिरिश्ते नहीं आते। अगर नहाने में इतनी देर हो गयी कि नमाज़ का आखिर वक़्त आ चुका है तो नहाना फर्ज़ है, देर करने पर गुनाहगार होगा। जो शख्स नापाक हो तो उसे खाना खाने के लिये वुज़ू कर लेना चाहिये। इसी तरह बीवी से जिमा करने के लिये भी वुज़ू कर लें या हाथ मुँह धो लें और कुल्ली कर लें, अगर इसी तरह खा पी लिया तो गुनाह नहीं लेकिन मकरूह है और ये मुह्ताजी लाता है। अगर बिना नहाये या बिना वुज़ू किये औरत से जिमा किया तो भी गुनाह नहीं लेकिन बेहतर कर लेना है और जिसे एहतिलाम हुआ हो वो बिना नहाये औरत के पास ना जाये। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*
🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 62* ✏️ (20) हज करने वाले पर दसवी ज़िलहिज्जा को पाँच गुस्ल हैं : वुक़ूफे मुज़्दलिफ़ा  दुखूले मिना जमरा पर कंकरियाँ मारना दुखूले मक्का और तवाफ़ जब कि तीन पिछली बातें भी दसवी को ही करे और अगर जुम्आ का दिन है तो गुस्ले जुम्आ भी। यूँ ही अगर अरफ़ा या ईद जुम्आ के दिन पड़े तो यहाँ वालों पर दो गुस्ल होंगे। (21) जिस पर चंद गुस्ल हों तो एक ही निय्यत से सब कर लिया, अदा हो गये और सब का सवाब मिलेगा। अगर आप पर गुस्ल फर्ज़ हो गया और उसी दिन जुम्आ भी है तो आप पर दो गुस्ल हैं, एक तो गुस्ले जनाबत और दूसरा करने की ज़रूरत नहीं है बल्कि एक ही बार निय्यत कर लें तो सब अदा हो जायेंगे, ऐसा नहीं कि पहले गुस्ले जनाबत कर के उठें फिर जुम्आ का गुस्ल करने जायें और फिर आगे ईद भी उसी दिन हो तो ईद का गुस्ल भी करें। (22) जुनूब ने जुम्आ के दिन गुस्ले जनाबत किया और जुम्आ या ईद वग़ैरह की निय्यत भी कर ली तो सब अदा हो जायेगा। (23) औरत को अगर नहाने के लिये पानी मोल लेना पड़े तो उस की क़ीमत शौहर के जिम्मे है बशर्ते कि वुज़ू या गुस्ल वाजिब हो या बदन से मैल दूर करने ...
🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 61* ✏️ (16) औरत हैज़ से फारिग हुई, गुस्ल फर्ज़ हो जायेगा। (17) निफ़ास के खत्म होने से भी गुस्ल फर्ज़ हो जायेगा। हैज़ व निफ़ास की तफ़सील आगे बयान की जायेगी। (18) जुम्आ, ईद, बक़र ईद के दिन और एहराम बांधते वक़्त नहाना सुन्नत है। (19) गुस्ल इन मौक़ों पर मुस्तहब है : वुक़ूफे अराफात, वुक़ूफे मुज़्दलिफ़ा, हाज़िरी-ए- हरम, हाज़िरी-ए- सरकारे आज़म, तवाफ़, दुखूले मिना, और कंकरिया मारने के लिये तीनों दिन, शबे बराअत, शबे क़द्र, और अरफ़ा की रात, मज्लिसे मीलाद, और दीगर मजालिसे खैर की हाज़िरी के लिये, मुर्दा नहलाने के बाद, मज्नून का जुनून जाने के बाद, गसी के बाद, नशा जाते रहने के बाद, नया कपड़ा पहनने के बाद, तौबा करने के बाद, सफ़र से आने वाले के लिये, इस्तिहाज़ा का खून बन्द होने के बाद, नमाज़े कसूफो खुसूफ व इस्तिस्क़ा के लिये और खौफ़ व तारीकी और सख्त आँधी के लिये, और बदन पर नजासत लगी हो पर मालूम ना हो कि कहाँ लगी है। *जारी है........* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*
🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 60* ✏️ (13) अगर किसी जिन्न ने औरत से जिमा (Sex) किया, वैसे ये मस'अला बहुत कम पेश आता है लेकिन फिर भी इल्म में इज़ाफे के लिये बयान किया जा रहा है तो अगर वो जिन्न आदमी की शक्ल में आया तो हश्फ़ा (सरे ज़कर) के गायिब होते ही गुस्ल फर्ज़ हो जायेगा और अदर आदमी की शक्ल में ना हो तो जब तक औरत को इंज़ाल ना हो गुस्ल फर्ज़ नहीं होगा। (14) अगर किसी मर्द ने परी से जिमा किया और वो इंसानी शक्ल में नहीं थी तो जब तक इंज़ाल ना हो गुस्ल फर्ज़ नहीं होगा और अगर इंसानी शक्ल में है तो ज़कर का सर गायिब होने यानी अंदर दाखिल होने से गुस्ल फर्ज़ हो जायेगा। (15) जिमा के बाद औरत ने गुस्ल किया फिर उसकी शर्मगाह से मर्द की बक़िया मनी निकली तो गुस्ल फर्ज़ नहीं होगा हाँ वुज़ू टूट जायेगा। ये जो मसाइल बयान किये गये इन में गुस्ल फर्ज़ होने की तीन वुजूहात में हश्फ़ा का दाखिल होना, एहतिलाम होना, मनी का अपनी जगह से शहवत के साथ निकलना और इन तीनों से फर्ज़ होने वाले गुस्ल को गुस्ले जनाबत कहते हैं और इन वुजूह से नापाक होने वाले शख्स को जुनूब *जारी है.......* 👑👑👑👑👑...
🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 59* ✏️ (11) हश्फ़ा औरत के आगे या पीछे के मक़ाम में दाखिल हो जाये तो दोनों पर गुस्ल फर्ज़ हो जाता है। हश्फ़ा यानी ज़कर (मर्द के आले) का सर (आगे का हिस्सा) और सिर्फ़ दाखिल करने से ही गुस्ल फर्ज़ हो जायेगा चाहे शहवत हो या ना हो, मनी निकले या ना निकले। इस में एक शर्त ये है कि मर्दो औरत दोनों मुकल्लफ़ हों (यानी बालिग और आक़िल हों।) अगर एक बालिग है और एक नाबालिग तो जो बालिग है उस पर गुस्ल फर्ज़ होगा और नाबालिग पर नहीं लेकिन नाबालिग को भी गुस्ल करने का हुक्म है। अगर लड़का बालिग है और लड़की नाबालिग तो लड़के पर गुस्ल फर्ज़ होगा और लड़की बालिग है लड़का नाबालिग तो लड़की पर फर्ज़ होगा लेकिन गुस्ल का हुक्म सब को है। (12) अगर औरत ने अपनी शर्मगाह में उंगली डाली या कोई और चीज़ डाली तो जब तक इंज़ाल ना हो यानी मनी ना निकले गुस्ल फर्ज़ नहीं होगा। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*
🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 57* ✏️ एहतिलाम की सूरतें जो बयान की गई उस का खुलासा ये है कि दो सूरतों में गुस्ल फर्ज़ नहीं होगा पहली ये कि जो तरी दिख रही है उस के बारे में यक़ीन है कि मनी या मज़ी नहीं बल्कि कुछ और है और दूसरी ये कि ख्वाब याद है और कोई असर मौजूद नहीं। एक सूरत में ख्वाब के एतबार से माना जायेगा कि गुस्ल फर्ज़ हुआ या नहीं और वो ये है कि मनी के ना होने पर यक़ीन है और मज़ी होने पर शक है तो ख्वाब याद है तो गुस्ल फर्ज़ है वरना नहीं। एक सूरत ये है कि जब कोई नॉरमल हालत में नहीं सोया बल्कि खास हालत में सोया यानी उसका आला क़ाइम था (तुंडी की हालत में था तो ऐसे में मस'अला थोड़ा अलग है और वो ये कि मज़ी पर ज़्यादा शक है और एहतिलाम याद नहीं तो गुस्ल फर्ज़ नहीं हालाँकि नॉरमल हालत में सोता तो मनी का शक होने से भी गुस्ल फर्ज़ हो जाता पर यहाँ मस'अला बदल जाता है और अगर ऐसी हालत में मनी पर ज़्यादा शक है तो गुस्ल फर्ज़ है। ये मसाइल कई लोग नहीं जानते और हमने आसान लफ्ज़ों में समझाने की पूरी कोशिश की है, अगर इसे दो तीन मरतबा गौर से पढ़ा जाये तो अच्छी तरह समझ में आ...
🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀*  *✔️ पार्ट 56* ✏️ (4) मनी के निकलने के बाद अगर ना सोया, ना पेशाब किया और ना 40 क़दम चला और नहा लिया और नमाज़ पढ़ ली फिर बाक़ी मनी निकली तो गुस्ल करे क्योंकि ये उसी मनी का हिस्सा माना जायेगा जो शहवत के साथ जुदा हुई थी और जो नमाज़ पढ़ी थी वो हो गयी, अब दोहराने की हाजत नहीं और अगर सोने, पेशाब करने या 40 क़दम चलने के बाद गुस्ल किया फिर मनी निकले तो ये पहली वाली का हिस्सा नहीं मानी जायेगी और गुस्ल करना ज़रूरी नहीं होगा। (5) पेशाब के वक़्त अगर मनी निकल जाये तो गुस्ल वाजिब नहीं। ऐसा मनी का पतला हो जाने से होता है इस से वुज़ू टूट जाता है। (6) एहतिलाम हुआ तो इस की चंद सूरतें हैं : (a) अगर सो कर उठा और कपड़े या बदन पर तरी पायी और मज़ी या मनी होने का यक़ीन है या शक़ है तो गुस्ल वाजिब हो जायेगा, चाहे ख्वाब देखना याद हो या ना हो। (b) अगर यक़ीन है कि ये तरी ना मनी है ना मज़ी बल्कि पेशाब या पसीना या वदी है तो गुस्ल फर्ज़ नहीं होगा अगरचे ख्वाब याद हो। (c) अगर यक़ीन है कि मनी नहीं लेकिन मज़ी होने पर शक है तो अब ख्वाब का एतबार होगा, अगर ख्वाब याद है तो गुस्...
🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 55* ✏️ गुस्ल किन चीज़ों से फर्ज़ होता है? यानी इंसान कब नापाक होता है? कब नहाना फर्ज़ हो जाता है? इसे अच्छी तरह समझना ज़रूरी है क्योंकि बात-बात पर लोग समझते हैं कि वो नापाक हो गये और अब नहाना होगा फिर नमाज़ें क़ज़ा कर देते हैं। (1) मनी का अपनी जगह से शहवत के साथ निकल कर उज़्व से निकलना गुस्ल को फर्ज़ कर देता है यानी मनी अगर शहवत के साथ (मज़े के साथ, जुनून के साथ) निकले यानी लज़्ज़त महसूस हो तो इससे गुस्ल फर्ज़ हो जायेगा। (2) अगर शहवत के साथ ना निकले बल्कि बोझ उठाने की वजह से या मेहनत की वजह से निकल जाये तो गुस्ल फर्ज़ नहीं हाँ वुज़ू ज़रूर टूट जायेगा। (3) अगर मनी अपनी जगह से शहवत के साथ चली और किसी ने अपने आले (आगे की शर्मगाह) को ज़ोर से पकड़ लिया या दबा दिया और मनी ना निकली फिर जब शहवत चली गयी तो निकली, इस से भी गुस्ल फर्ज़ हो जायेगा क्योंकि मनी अपनी जगह से शहवत के साथ जुदा हुई थी। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*
🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 54* ✏️ अगर कोई बहते हुये पानी में नहाता है तो उस में थोड़ी देर ठहरने से तीन बार धोने, तरतीब और सारी सुन्नतें अदा हो जाती हैं, अलग से करने की ज़रूरत नहीं और अगर ठहरे हुये पानी में तालाब वग़ैरह में नहाता है तो तीन बार जिस्म को हरकत देने या तीन जगह बदलने से तीन बार धोने की सुन्नत अदा हो जायेगी। अगर बहते पानी में वुज़ू किया तो बस थोड़ी देर तक आज़ा (पार्ट्स) को पानी में रखने से सुन्नत अदा हो जायेगी और अगर ठहरे पानी में किया तो हरकत देने से अदा हो जायेगी। वुज़ू या गुस्ल करने के लिये छोटे या बड़े के लिये पानी की कोई मिक़्दार मुअय्यन नहीं है यानी फिक्स नहीं है कि इतने उम्र का आदमी इतने लीटर्स से नहायेगा और इतने उम्र का इतने लीटर्स से बल्कि जितने में अच्छी तरह फराइज़ो सुनन अदा हो जायें, उतना पानी ज़रूरी है। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*
🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 53* ✏️ अगर जिस्म में कहीं पट्टी बंधी है और नहाना ज़रूरी हो और पट्टी खोलने से नुक़सान होगा तो पट्टी के ऊपर मसहा कर ले। बाक़ी बदन पर पानी बहाये लेकिन ख्याल रहे कि पट्टी ने हद से ज़्यादा जगह को ना ढक रहा हो हाँ अगर बाज़ू में एक तरफ़ ज़ख्म है और पट्टी बाँधने के लिये उसे पूरे बाज़ू को गोलाई पर घुमा कर बाँधा गया है तो अगर पट्टी खोलना मुम्किन हो तो खोल कर पानी बहाये और अगर खोलने में तकलीफ़ हो या खोलने के बाद वैसा नहीं बँध पायेगा जैसा बंधा हुआ था तो मसहा कर लेना काफ़ी है, ज़ख्म की वजह से वो सही हिस्सा भी माफ़ हो जायेगा। अगर कोई हिस्सा है जहाँ पानी पहुँचाने से तकलीफ़ है तो उस पर भी मसहा काफ़ी है। अगर ज़ुकाम है या आँख से पानी बहता है या और कोई बीमारी है और मालूम है कि सर से नहाने पर तकलीफ़ बढ़ जायेगी तो कुल्ली करे, नाक में पानी डाले और सर को छोड़ कर गले से नीचे नहा ले और सर का अच्छी तरह मसहा कर ले गुस्ल हो जायेगा। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*
🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 52* ✏️ पेट को धोना, नाफ़ में पानी पहुँचाना और जिस्म का हर रोंगटा जड़ से नोक तक धोना ज़रूरी है। बैठ कर नहाने पर रान और जोड़ों पर अच्छी तरह पानी पहुँचाना ज़रूरी है। खड़े होकर नहाने पर दोनों सुरीन के मिलने की जगह को धोना ज़रूरी है। रानों की गोलियाँ, पिंडलियों की करवटें, शर्मगाह के वो हिस्से जो बगैर हरकत दिये नहीं धुलते और ऐसी तमाम जगहों को धोना ज़रूरी है। औरतों के लिये पिस्तान और नीचे पेट को अच्छी तरह धोना ज़रूरी है। औरतों के लिये शर्मगाह को धोते वक़्त खास ख्याल रखना ज़रूरी है कि कोई हिस्सा सूखा ना रह जाये। बाहरी हिस्से को अच्छी तरह धोने के बाद अंदरूनी हिस्से में उंगली डालकर धोना मुस्तहब है। अगर हैज़ व निफ़ास से फारिग हो कर गुस्ल करती है तो किसी पुराने कपड़े से फर्जे दाखिल के अंदर से खून वग़ैरह का असर साफ़ कर लेना मुस्तहब है। बाल में गिरह पड़ जाये तो उसे खोल कर पानी बहाना ज़रूरी नहीं है। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*
🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 51* ✏️ सर के बाल अगर बड़े हों तो इसे धोने में ख्याल रखना ज़रूरी है कि कोई हिस्सा सूखा ना रह जाये। औरतों के लिये भी जड़ तक पानी पहुँचाना ज़रूरी है और अगर चोटी ज़्यादा टाइट गुन्दी हुई है कि पानी ना पहुँचे तो खोल कर पहुँचाना ज़रूरी है। नाक, कान वग़ैरह में ज़ेवर या हाथ में अँगूठी का वही हुक्म है जो वुज़ू के बाद में बयान किया गया यानी अगर ढीला है कि पानी चला जाता है तो हरकत देना ज़रूरी है कि पानी पहुँच जाये। गुस्ल में दाढ़ी, भवें, पलकों के बाल सब का धोना और उस के नीचे चमड़े का धोना ज़रूरी है। कान का हर पुर्ज़ा और इस के सुराख के मुँह तक पानी पहुँचाना चाहिये। कानों के पीछे बाल हटा कर पानी पहुँचाना ज़रूरी है। हाथ उठा कर बगलों को धोना ज़रूरी है। बाज़ू और पीठ का हर पहलू अच्छी तरह धोना ज़रूरी है। *जारी है......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*
🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 50* ✏️ गुस्ल में तीन फर्ज़ हैं यानी इन में से कोई एक भी छूट जाये तो गुस्ल नहीं होगा। (1) कुल्ली करना : कुल्ली करने का ये मतलब नहीं कि मुँह में पानी लिया और उगल दिया बल्कि मुँह के अंदर हर पुरज़े को तर करना ज़रूरी है, ये कुल्ली फर्ज़ है लिहाज़ा अच्छी तरह तीन बार कुल्ली की जाये और अगर रोज़े से ना हो तो गरारा भी करें। (2) नाक में पानी डालना : इस में भी खूब अच्छी तरह पानी डाला जाये कि अंदर नर्म हड्डी तक कोई जगह सूखी ना रह जाये। पानी को सूंघ कर ऊपर चढ़ायें और कोई चीज़ जमी हुई हो तो उसे साफ कर लें। (3) तमाम ज़ाहिरी बदन पर पानी बहाना : सर के बाल से ले कर पाऊँ के नाखून तक का हर हिस्सा धुलना चाहिये। कई जगहें ऐसी हैं कि अगर एहतियात ना की जाये तो गुस्ल नहीं होगा लिहाज़ा इस में ज़्यादा एहतियात की ज़रूरत है। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत ग्रुप 🔴*

नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है

🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 49* ✏️ वित्र नमाज़ का बयान : तीसरी रकअ़त में क़िरअत करने के बाद रुकूअ़ में जाने से पहले हाथों को कानों तक उठा कर अल्लाहु अकबर कहे जैसा कि तकबीरे तहरीमा में करते हैं फिर हाथ बाँध ले और दुआ -ए- क़ुनूत पढ़े और ये दुआ पढ़ना वाजिब है और इस में किसी खास दुआ का पढ़ना ज़रूरी नहीं है। हुज़ूर ﷺ से जो दुआयें साबित हैं उन्हेँ पढ़ा जाये और इसके इलावा कोई दुआ पढ़े तो भी हर्ज नहीं। सब से मशहूर दुआ ये है : اَللّٰھُمَّ اِنَّا نَسْتَعِیْنُکَ وَ نَسْتَغْفِرُکَ وَ نُؤْمِنُ بِکَ وَ نَتَوَکَّلُ عَلَیْکَ وَنُثْنِیْ عَلَیْکَ الْخَیْرَ کُلَّہٗ وَنَشْکُرُکَ وَلَا نَکْفُرُکَ وَ نَخْلَعُ وَنَتْرُکُ مَنْ یَّفْجُرُکَ ط اَللّٰھُمَّ اِیَّاکَ نَعْبُدُ وَلَکَ نُصَلِّیْ وَنَسْجُدُ وَاِلَیْکَ نَسْعٰی وَنَحْفِدُ وَنَرْجُوْ رَحْمَتَکَ وَنَخْشٰی عَذَابَکَ اِنَّ عَذَابَکَ بِالْکُفَّارِ مُلْحِقٌ बेहतर ये है कि इस दुआ के साथ ये दुआ भी पढ़े जो हुज़ूर ﷺ ने इमाम हसन रदिअल्लाहु त'आला अ़न्हु को तालीम फ़रमायी : اَللّٰھُمَّ اھْدِنِیْ فِیْ مَنْ ھَدَیْتَ وَعَافِنِیْ فِیْ ...

नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है

🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 48* ✏️ (43) किसी को ये याद है कि वुज़ू में कोई हिस्सा धोना भूल गया हूँ लेकिन मालूम नहीं कि कौन सा तो बाया पाऊँ धो ले। (44) अगर मियानी पर तरी देखी और पता नहीं कि पानी है या पेशाब है तो अगर ये ज़िंदगी का पहला वाक़िया है तो वुज़ू कर ले और बार बार ऐसा होता है तो उस की तरफ़ ध्यान ना दे। (45) नमाज़े जनाज़ा के लिये जो वुज़ू किया गया उस से फर्ज़ नमाज़ें भी पढ़ सकते हैं। ये जो मशहूर है कि नहीं पढ़ सकते गलत है। (46) जो पानी मुस्तमिल हो उस से वुज़ू या गुस्ल नहीं होता लिहाज़ा दोबारा करना ज़रूरी है। ये वुज़ू के मसाइल थे और इनके अलावा और भी हैं जो आगे आयेंगे लेकिन अभी गुस्ल के मुताबिक़ बयान किया जायेगा। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत ग्रुप 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 47* ✏️ (38) अगर वुज़ू के दरमियान किसी हिस्से को धोने पर शक हो तो अगर ये ज़िंदगी का पहला वाक़िया है तो उसे धो ले और अगर बार बार ऐसा होता है कि वुज़ू में शक होता है तो ध्यान ना दे और अगर वुज़ू के बाद ऐसा लगता है तो इस पर तवज्जो ना दे। (39) अगर किसी ने वुज़ू किया था और अब याद नहीं कि वुज़ू टूटा या नहीं तो वो वुज़ू में है, उसे नमाज़ के लिये वुज़ू करने की ज़रूरत नहीं लेकिन कर लेना बेहतर है जबकि उसे ये मालूम हो कि मै वुज़ू से हूँ और नया वुज़ू कर रहा हूँ और अगर उसे वसवसे की वजह से दुबारा वुज़ू करने का मन करता है तो ऐसा हरगिज़ ना करे क्योंकि ये एहतियात नहीं बल्कि शैतान की इता'अ़त है। जब आपको वुज़ू का टूटना याद नहीं तो आप वुज़ू में हैं लिहाज़ा ज़रूरी नहीं कि वुज़ू करें। (40) अगर किसी ने वुज़ू नहीं किया था और अब इसे शक है कि मैने किया या नहीं तो वो बे-वुज़ू है, वुज़ू करना ज़रूरी है। (41) किसी को ये याद है कि वुज़ू करने के लिये बैठा था लेकिन वुज़ू किया या नहीं ये याद नहीं तो उसे वुज़ू करना ज़रूरी नहीं। (42) ये याद है कि पखाना या पेशाब के लिये बैठा थ...

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 46* ✏️ (31) जो रुतूबात (Liquid) जिस्म से निकले और वुज़ू ना तोड़े तो वो नापाक नहीं मस्लन खून जो बहकर ना निकले पाक है और थोड़ी क़य (उल्टी) पाक है। अगर खून बहकर निकले तो नजिस और भर मुँह उल्टी हो तो नजिस है। (32) सोते हुये मुँह से जो राल गिरे वो चाहे जितनी हो पाक है, अगरचे बदबू आये लेकिन पाक है। (33) मुर्दे के मुँह से जो पानी बहे वो नजिस है। (34) दुखती आँख से जो पानी बहता है वो नापाक है और वुज़ू तोड़ देता है। (35) दूध पीने वाले बच्चे ने दूध उल्टी की तो अगर मुँह भर है तो नापाक है और अगर ये दूध माद्दे (पेट) में नहीं गया था बल्कि सीने से ही लौट आया तो पाक है। (36) वुज़ू के बीच में हवा निकल जाये तो फ़िर से वुज़ू करना होगा। (37) चुल्लू में पानी था और हवा निकल गयी तो वो पानी भी अब काम का ना रहा। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत ग्रुप 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 45* ✏️ (27) अगर नमाज़ के अंदर सोते हुये हँसा तो वुज़ू नहीं जायेगा। इसी तरह नमाज़े जनाज़ा में हँसने से भी वुज़ू नहीं जायेगा और ना सजदा -ए- तिलावत में हँसने से लेकिन नमाज़ और सजदा फासिद है, इसे दुहराना होगा। (28) अगर इतनी आवाज़ से हँसा कि खुद सुना और पास वालों ने नहीं सुना तो वुज़ू नहीं जायेगा लेकिन नमाज़ चली जायेगी। (29) अगर मुस्कुराया जिस में सिर्फ़ दाँत निकले, आवाज़ बिल्कुल ना निकली तो इस से ना वुज़ू जायेगा ना नमाज़। (30) आवाम में जो मशहूर है कि सतर खुलने से यानी घुटने से ऊपर दिख जाने से या किसी के सतर पर नज़र पड़ जाने से वुज़ू टूट जाता है ये गलत है इस से वुज़ू नहीं टूटता। हाँ ये ज़रूर है कि सतर खुला रखना मना है और किसी दूसरे के सामने खोलना हराम है। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत ग्रुप 🔴*
🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 मसलके आला हजरत ग्रुप 🥀* *✔️ पार्ट 44* ✏️ (20) जब दोनों सुरीन ज़मीन पर या कुर्सी पर हैं और दोनों पाऊँ एक तरफ फैले हुये हैं या दोनों सुरीन पर बैठा और घुटने खड़े हैं और हाथ पिंडलियों पर मुहीत जो ख्वाह ज़मीन पर हो, दो ज़ानू सीधा बैठा हो या चार ज़ानू पालती मारे या खड़े खड़े सो गया या रुकू की सूरत पर या मर्दों के सजदा -ए- मस्नूना की शक्ल पर तो इन सब सूरतों में वुज़ू नहीं जायेगा और नमाज़ में अगर ये सूरतें पेश आयी तो ना वुज़ू जायेगा ना नमाज़, हाँ अगर पूरा रुख (Step) सोते ही में अदा किया तो उस का इआदा (दोहराना) ज़रूरी है। हम पहले बयान कर चुके हैं सुरीन के ना जमे हुये होने के साथ साथ ये भी ज़रूरी है कि वो इस स्टाइल और पोज़ीशन पर सोया हो कि आराम से सो सके, कोई चीज़ डिस्टर्ब ना करे, कोई रुकावट ना हो मस्लन खड़े हो कर सोयेगा तो झपकी आते ही जाग जायेगा ताकि गिर ना जाये तो ऐसे में सोना माना ही नहीं जायेगा तो वुज़ू नहीं टूटेगा और जब ऐसी पोज़ीशन में सोयेगा कि आराम से गाफ़िल हो कर सो सकता है तो वुज़ू टूट जायेगा। (21) अगर वुज़ू ना टूटने वाली शक्ल में सोया फिर नीन्द आने पर ऐसी शक्ल में आ गया जिस में वु...

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 43* ✏️ (17) मुँह भर के उल्टी हुई तो वुज़ू टूट जायेगा। मुँह भर का ये मतलब है कि उसे बे तकल्लुफ ना रोक सकता हो। (18) बल्गम से वुज़ू नहीं टूटता चाहे जितना भी निकले। (19) सोने से वुज़ू टूट जाता है लेकिन दो शर्तों के साथ  पहली ये कि दोनों सुरीन अच्छी तरह जमी हुई ना हों और दूसरी ये कि इस तरीक़े से ना सोया हुआ हो जो गाफ़िल हो कर सोने में माने हो यानी डिस्टर्ब करे मस्लन अकड़ू बैठ कर सोया या चित या पट या करवट पर लेट कर सोया या एक कोहनी से तकिये पर टेक लगा कर बैठा और सोया मगर एक करवट को झुका हुआ कि एक या दोनों सुरीन उठे हुये हैं या दो ज़ानू बैठा और पेट रानों पर रखा कि सुरीन ना जमे या चार ज़ानू है और सर रानों पर या पिंडलियों पर है जिस तरह औरतें सजदा करती हैं, इन तरीक़ों पर सोने से वुज़ू टूट जायेगा और अगर नमाज़ में इन सूरतों में से किसी पर जान बूझ कर सोता तो वुज़ू और नमाज़ दोनों गये और अगर अंजाने में सोया तो वुज़ू गया मगर नमाज़ नहीं, वुज़ू कर के वहीं से पढ़े जहाँ सोया था और सिरे से पढ़ना बेहतर है। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 म...

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 42* ✏️ (12) अगर खून निकला और बहने से पहले पोंछ दिया फ़िर निकला और पोंछते रहा तो अगर ना पोंछने पर वो बह जाता तो वुज़ू टूट जायेगा। इसी तरह मिट्टी या राख डाल कर सुखाता रहा और अगर ना डालता तो बह जाता तो वुज़ू टूट जायेगा। (13) आँख, कान, नाफ़, पिस्तान वग़ैरह से जो पानी या आँसू बीमारी की वजह से निकले, वो वुज़ू तोड़ देगा। (14) रोने से वुज़ू नहीं टूटता लेकिन जैसा कि बयान हुआ कि अगर आँखों में दर्द है और उसकी वजह से पानी निकलता है तो वुज़ू टूट जायेगा। (15) मुँह से खून निकला, अगर थूक पर गालिब है यानी थूक का रंग लाल हो गया तो वुज़ू टूट जायेगा और अगर किसी ने थूक कर देखा ही नहीं बल्कि घूंट लिया तो लाल था या नहीं ये पता करने के लिये देखा जायेगा कि घूंटने में गले में नमकीनी महसूस हुई या नहीं अगर महसूस हुई तो वुज़ू टूट जायेगा वरना नहीं। (16) नाक साफ की और जमा हुआ खून निकला तो वुज़ू नहीं टूटेगा। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत ग्रुप 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 41* ✏️ (7) मर्द या औरत के पीछे के मक़ाम से हवा के निकलने से वुज़ू टूट जाता है। (8) खून या पीप या ज़र्द पानी कहीं से निकल कर बहा और उस में ऐसी सलाहियत थी कि बह कर ऐसी जगह पहुँच जाये जिस जगह का गुस्ल या वुज़ू में धोना ज़रूरी है तो वुज़ू टूट जायेगा। (9) कहीं सूई चुभ गयी और खून चमका यानी लाल नज़र आया पर बहा नहीं तो वुज़ू नहीं टूटेगा। (10) मिस्वाक में खून दिखाई दिया या नाक में उंगली डाली तो खून की सुरखी दिखाई दी तो वुज़ू नहीं टूटेगा जब तक वो बहने के क़ाबिल ना हो। (11) अगर बहा लेकिन ऐसी जगह नहीं आया जिस का वुज़ू या गुस्ल में धोना ज़रूरी है तो वुज़ू नहीं टूटेगा। मस्लन आँख में दाना था और फूट कर आँख के अंदर ही बह गया बाहर ना आया या कान के अंदर दाना था और अंदर ही फूट कर बह गया बाहर ना आया तो वुज़ू बाक़ी है। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*https://groups.bip.ai/share/02INTqWnlrmK4SZpRirOZUyedOxBWcKH

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 40* ✏️अब हम बयान करेंगे कि वुज़ू किन-किन बातों से टूट जाता है। (1) पेशाब करने से। (2) पखाना से। (3) वदी के निकलने से (ये सफ़ेद क़तरे जो बीमारी की वजह से निकलने हैं।) (4) मज़ी के निकलने से (ये पानी की तरह होता है और इस में चिपचिपा पन होता है, ये मनी के निकलने से पहले निकलता है, इस से इंसान नापाक नहीं होता बस वुज़ू टूट जाता है, कुछ लोग जब गन्दी तस्वीरें वग़ैरह देखते हैं या गंदे खयालात की वजह से ये निकल आता है, इसकी एक पहचान ये भी है कि ये सफ़ेद रंग का नहीं होता और इसके निकलने से शहवत खत्म नहीं होती बल्की बढ़ जाती है यानी इसके खारिज होने से जुनून और शहवत कम नहीं होती और इसके बाद जो सफ़ेद पानी उछाल के साथ बाहर आता है जिस से इंसान सुस्त हो जाता है उसे मनी कहते हैं।) (5) मनी के निकलने से (मनी कभी कभी मेहनत की वजह से निकल जाती है जिस में शहवत नहीं होती यानी बगैर लज़्ज़त (मज़े) के बाहर आ जाती है तो इस से भी इंसान नापाक नहीं होता बस वुज़ू टूट जाता है।) (6) औरत के आगे के मक़ाम से जो रुतूबात (Liquid) खालिस बे आमेज़िशे खून निकलती है उस से व...

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 39* ✏️ चुल्लू में पानी लेते वक़्त ख्याल रखें कि पानी बरबाद ना हो। जो काम आधे चुल्लू पानी में हो सकता है उस के भर चुल्लू लेना सही नहीं है। मस्लन नाक में पानी डालने के लिये आधा चुल्लू काफ़ी है तो भर कर लेना पानी को बरबाद करना होगा। हाथ, पाऊँ सीना और पुश्त पर ज़्यादा बाल हों तो उसे क्रीम से साफ कर लें या तरशवा लें, इस से पानी कम खर्च होगा ज़्यादा बाल होने की वजह से पानी ज़्यादा खर्च होता है। एक वल्हान नामी शैतान है जो वुज़ू में वसवसे डालता है तो इस से बचने के लिये ये काम करें : रुजू इलल्लाह हों। अऊज़ु बिल्लाह पढ़ें। लाहौल पढ़ें। सूरतुन नास पढ़ें। आमन्तु बिल्लाहि व रसूलिही पढ़ें। और ये पढ़ें : سُبْحَانَ الْمَلِکِ الْخَلَّاقِ اِنْ یَّشَأ یُذْہِبْکُمْ وَیَاْتِ بِخَلْقٍ جَدِیْدٍ لا وَمَا ذٰلِکَ عَلَی اللہِ بِعَزِیْزٍ इन से वसवसा जड़ से कट जायेगा और वसवसे पर बिल्कुल ध्यान ना दें और इसका उल्टा करें, इस से भी वसवसा दूर हो जायेगा। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 38* ✏️ जुबानी क़ुरआन पढ़ने के लिये, हदीस और इल्मे दीन पढ़ने और पढ़ाने के लिये, जुम्आ व ईदैन के इलावा खुत्बों के लिये, कुतुबे दीनिया छूने के लिये, झूट बोलने, गाली देने और फहश बोलने के बाद, काफ़िर का बदन छू जाने पर, सलीब या बुत छू जाने पर, कोड़ी या सफ़ेद दाग वाले से मस करने पर, बगल खुजाने से जब कि इस में बदबू हो, गीबत करने, क़हक़हा लगाने, लग्व अशआर पढ़ने और ऊँट का गोश्त खाने के बाद, किसी औरत के बदन से बे-हाइल मस हो जाने पर और बा वुज़ू शख्स के लिये नमाज़ पढ़ने के लिये वुज़ू करना मुस्तहब है। जब वुज़ू टूट जाये तो वुज़ू कर लेना मुस्तहब है। नाबालिग पर वुज़ू फर्ज़ नहीं लेकिन उन से करवाना चाहिये ताकि सीखें। अगर लोटे से वुज़ू करें तो लोटे की टूँटी ना ज़्यादा तंग हो कि कम पानी गिरे ना ज़्यादा फराख हो कि पानी ज़्यादा गिरे बल्की दरमियानी हो। नल को भी इतना ही खोलें जितनी ज़रूरत है, ज़्यादा खोल कर पानी बहाना जाइज़ नहीं। https://groups.bip.ai/share/02INTqWnlrmK4SZpRirOZUyedOxBWcKH *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 37* ✏️ वुज़ू ना हो तो नमाज़, नमाज़े जनाज़ा, सजदा -ए- तिलावत और क़ुरआन को छूने के लिये वुज़ू करना फर्ज़ है। तवाफ़ के लिये वुज़ू करना वाजिब है। गुस्ले जनाबत से पहले वुज़ू करना, जुनूब (नापाक) शख्स को खाने, पीने और सोने से पहले वुज़ू करना सुन्नत है। अज़ान, इक़ामत, जुम्आ का खुत्बा, ईद का खुत्बा और रोज़ा -ए- रसूल ﷺ की ज़ियारत के लिये, वुक़ूफ -ए- अरफ़ा, सफ़ा व मरवा के दरमियान सई के लिये वुज़ू करना सुन्नत है। सोने के लिये और सोकर उठने के बाद वुज़ू करना मुस्तहब है। मय्यित के नहलाने या उठाने के बाद वुज़ू करना मुस्तहब है। जिमा (सोहबत) से पहले और जब गुस्सा आये तो वुज़ू करना मुस्तहब है। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 36* ✏️ (11) मुँह पर पानी मारना मकरूह है। (12) मुँह पर पानी बहाते वक़्त फूँकना मकरूह है। (13) एक हाथ से मुँह धोना मकरूह है, ये हिन्दुओं का तरीक़ा है। (14) गले का मसह करना मकरूह है। (15) बायें हाथ से कुल्ली करना या नाक में पानी डालना। (16) दाहिने हाथ से नाक साफ करना। (17) अपने लिये कोई लोटा या नल खास कर लेना। (18) तीन नये पानियों से तीन बार सर का मसह करना। (19) जिस कपड़े से इस्तिन्जा का पानी सुखाया हो उस से वुज़ू के आज़ा को पोछ्ना। (20) धूप के गर्म पानी से वुज़ू करना जबकि वो पानी सोने या चाँदी के इलावा किसी धात के बर्तन में गर्म हुआ हो और मौसम के साथ साथ इलाक़ा भी गर्म हो इस से बर्स की बीमारी का इह्तिमाल है। *✔️ जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 35* ✏️ वुज़ू में कुछ बातें मकरूह हैं जिनसे बचना चाहिये, वो ये हैं : (1) औरत के गुस्ल या वुज़ू से जो पानी बच जाता है उस से वुज़ू करना मकरूह है। (2) वुज़ू के लिये नजिस जगह बैठना। (3) नजिस जगह वुज़ू का पानी गिराना। (4) मस्जिद के अन्दर वुज़ू करना (मगर जो जगह वुज़ू के लिये बनी हुई है वहाँ हरज नहीं) (5) आज़ा -ए- वुज़ू से क़तरे लोटे वग़ैरह में टपकाना। (6) पानी में रींठ या खंखार डालना (ये हौज़ के बारे मे है) (7) क़िब्ला की तरफ़ थूकना या खंखार डालना या कुल्ली करना। (8) बे-ज़रूरत दुनिया की बातें करना। (9) ज़्यादा पानी खर्च करना। (10) इतना कम खर्च करना कि सुन्नत अदा ना हो। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 34* ✏️वित्र नमाज़ का बयान : वित्र वाजिब है, अगर सहवन (भूल कर) या क़स्दन (जान बूझ कर) ना पढ़ा तो क़ज़ा वाजिब है। साहिबे तरतीब के लिये मसअला अलग है कि अगर ये याद है कि वित्र की नमाज़ नहीं पढ़ी है और वक़्त है कि पढ़ लेगा तो फ़ज्र की नमाज़ फ़ासिद है चाहे शुरू में याद आये या दरमियान में याद आ जाये। साहिबे तरतीब किसे कहते हैं? ये जान लेना ज़रूरी है कि साहिबे तरतीब कौन लोग हैं। अ़ल्लामा मुफ्ती शरीफुल हक़ अमजदी रहीमहुल्लाहु त'आला लिखते हैं कि साहिबे तरतीब वो है जिस के जिम्मे 5 वक़्त की नमाज़ें ना हो। (فتاوی شارح بخاری، ج3، ص227) अ़ल्लामा मुफ्ती हबीबुल्लाह नईमी अशरफ़ी रहीमहुल्लाह त'आला लिखते हैं कि साहिबे तरतीब वो शख्स है जिस की वक़्ते बुलूग (यानी बालिग होने के बाद) से कोई नमाज़ क़ज़ा ही ना हुई हो और अगर हुई भी हो तो क़ज़ा पढ़ चुका हो या उस पर पाँच नमाज़ों की या इस से कम की क़ज़ा लाज़िम हो (यानी उस के ज़िम्मे 5 से ज़्यादा नमाज़ें ना हो) (حبیب الفتاوی، ص431) *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 33* ✏️ (51) दाहिना हाथ धोते वक़्त ये पढ़ना मुस्तहब है : اَللّٰھُمَّ اَعْطِنِيْ کِتَابِیْ بِیَمِیْنِیْ وَحَاسِبْنِیْ حِسَابًا یَّسِیْراً (52) बायाँ हाथ धोते वक़्त ये पढ़ना : اَللّٰھُمََّ لَا تُعْطِنِیْ کِتَابِیْ بِشِمَالِیْ وَلَا مِنْ وَّرَآءِ ظَھْرِیْ (53) सर का मसह करते वक़्त ये पढ़ना : اَللّٰھُمَّ اَظِلَّنِیْ تَحْتَ عَرْشِکَ یَوْمَ لَا ظِلَّ الِاَّ ظِلَّ عَرْشِکَ (54) कानों का मसह करते वक़्त ये पढ़ना : اَللّٰھُمَّ اجْعَلْنِیْ مِنَ الَّذِیْنَ یَسْتَمِعُوْنَ الْقَوْلَ فَیَتَّبِعُوْنَ اَحْسَنَہٗ (55) गर्दन का मसह करते वक़्त ये पढ़ना : اَللّٰھُمَّ اَعْتِقْ رَقَبَتِیْ مِنَ النَّارِ (56) दाहिना पाऊँ धोते वक़्त ये पढ़ना : اَللّٰھُمَّ ثَبِّتْ قَدَمِیْ عَلَی الصِّرَاطِ یَوْمَ تَزِلُّ الْاَقْدَامُ  (57) बायाँ पाऊँ धोते वक़्त ये पढ़ना : اجْعَلْ ذَنْبِیْ مَغْفُوْرًا وَسَعْیِیْ مَشْکُورًا وَ تِجَارَتِیْ لَنْ تَبُوْرَ (58) या सब जगह दुरूद शरीफ़ ही पढ़ें और यही अफज़ल है। (59) वुज़ू से फारिग होकर ये पढ़ें : اَللّٰھُمََّ اجْعَلْنِیْ مِنَ التَّ...

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ पार्ट 32* ✏️ (41) हर हिस्सा धो कर उस पर हाथ फेर देना चाहिये कि पानी के क़तरे ना टपकें और खास कर मस्जिद में जाते वक़्त क्योंकि मस्जिद में वुज़ू के क़तरे टपकाना मकरूहे तहरीमी है। (42) बहुत भारी बर्तन से वुज़ू ना करें कि पानी ज़्यादा बहेगा और इसी तरह अगर कोई नल बहुत सख्त है तो उस से भी बचें खास कस कमज़ोर लोग वरना बन्द करने और खोलने में काफ़ी पानी बहेगा। (43) ज़ुबान से कह लिया जाये कि वुज़ू करता हूँ। (44) हर हिस्से के धोते वक़्त निय्यत का हाज़िर रहना। (45) बिस्मिल्लाह कहना। (46) दुरूद पढ़ना। (47) ये पढ़ना :  اَشْھَدُ اَنْ لاَّ اِلٰہَ اِلاَّ اللہُ وَحْدَہُ لَا شَرِیْکَ لَہٗ وَاَشْھَدُ اَنَّ سَیِّدَنَا مُحَمَّدًا عَبْدُہٗ وَرَسُوْلُہٗ (48) कुल्ली करते वक़्त ये पढ़ना :  اَللّٰھُمَّ اَعِنِّیْ عَلٰی تِلَاوۃِ الْقُرْاٰنِ وَذِکْرِکَ وَشُکْرِکَ وَحُسْنِ عِبَادَتِکَ (49) नाक में पानी डालते वक़्त ये पढ़ना : اَللّٰھُمَّ اَرِحْنِیْ رَائِحَۃَ الْجَنَّۃِ وَلَا تُرِحْنِیْ رَائِحَۃَ النَّارِ (50) मुँह धोते वक़्त ये पढ़ना : اَللّٰھُمَّ بَیِّضْ وَجْھِیْ...

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✍️ पार्ट 31* ✏️ (31) बायें हाथ की छोटी वाली उंगली नाक के सुराख में डालना मुस्तहब है। (32) पाऊँ को बायें हाथ से धोना। (33) मुँह धोते वक़्त माथे के सिरे पर ऐसा फैला कर पानी बहाना कि ऊपर बालों का कुछ हिस्सा भी धुल जाये। (34) दोनों हाथों से मुँह धोना। (35) हाथ पाऊँ धोने में उंगलियों से शुरू करना। (36) चेहरे के दायरे से थोड़ा बढ़ा कर पानी बहाना। (37) हाथ पाऊँ धोते वक़्त भी थोड़ा बढ़ा कर ऊपर तक धोना। (38) सर के मसह का मुस्तहब तरीक़ा ये है कि अँगूठे और कलिमे की उंगली के इलावा बाक़ी दोनों हाथों की तीन-तीन उंगलियों को मिला कर माथे के सिरे पर रखें और पीछे सर की गुद्दी तक ले जायें, इस में हथेलियों को सर से जुदा रखें। (39) फिर कलिमे की उंगली के पेट से कान के अंदरूनी हिस्से का मसह करें। (40) फिर अँगूठे के पेट से कान के पीछे मसह करें और उंगलियों की पुश्त से गर्दन का मसह करें। *✔️ जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️(पार्ट 30)* ✏️ (21) कानों का मसह करते वक़्त छोटी वाली उंगली (भीगी हुई) कान के सुराख में डालना मुस्तहब है। (22) जो वुज़ू कामिल तौर पर करता हो उसे खास जगहों मस्लन टखनों, एड़ियों, घइयों और करवटों का ख्याल रखना मुस्तहब है और बे-ख्याली करने वालों पर फर्ज़ है। (23) वुज़ू का बर्तन मिट्टी का हो। (24) अगर तांबे वग़ैरह का बर्तन हो तो भी हर्ज नहीं पर क़लाई किया हुआ हो। (25) अगर बर्तन लोटे की क़िस्म का है तो उसे बायें जानिब रखें। (26) अगर बर्तन तश्त (प्लेट) की क़िस्म का है तो दायीं तरफ़ रखें। (27) आफ्तबा (एक क़िस्म का लोटा) में दस्ता लगा हो तो दस्ते को तीन बार धो लें। (28) ऐसे लोटे के दस्ते पर हाथ रखें, मुँह पर हाथ ना रखें। (29) दाहिने हाथ से कुल्ली करना और नाक में पानी डालना। (30) बायें हाथ से नाक साफ़ करना। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️(पार्ट 29)* ✏️ (11) वुज़ू का पानी पाक जगह गिराना मुस्तहब है। (12) जिस्म के आज़ा (पार्ट्स) पर पानी बहाते वक़्त हाथ फेरना खास कर जाड़े के मौसम में। (13) पहले तेल की तरह पानी मल लेना, खुसूसन जाड़े में। (14) वुज़ू का पानी अपने हाथ से भरना। (15) दूसरे वक़्त के लिये पानी भर कर छोड़ना। (16) वुज़ू करने में बगैर ज़रूरत दूसरे से मदद ना लेना। (17) अँगूठी को हरकत देना अगर ढीली हो और उस के नीचे पानी बह जाना मालूम हो और अगर तंग (Tight) हो कि पानी नहीं जाता तो फर्ज़ होगा। (18) अगर उज़्र ना हो तो वक़्त से पहले वुज़ू कर लेना। (19) वुज़ू इत्मिनान से करना चाहिये, जल्दी करना सहीह नहीं है। (20) टपकने वाले क़तरों से कपड़े को बचाना। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️(पार्ट 28)* ✏️ अब हम वुज़ू के मुस्तहब्बात बयान करेंगे यानी इन का करना बेहतर है लेकिन छोड़ने पर कोई गुनाह नहीं है। वुज़ू में ये बातें मुस्तहब हैं : (1) दाहिनी जानिब से इब्तिदा करना यानी पहले दाँया हाथ और पैर धोना। (2) रुख्सार को एक साथ धोना। (3) दोनों कानों का मसह एक साथ करना। (4) अगर एक हाथ हो तो मुँह धोने और, (5) मसह करने में दाहिने से करें। (6) उंगलियों की पुश्त से। (7) गर्दन का मसह करना। (8) वुज़ू करते वक़्त काबा रुख बैठना। (9) ऊँची जगह वुज़ू करना। (10) बैठ कर वुज़ू करना। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️(पार्ट 27)* ✏️ तरतीब भी सुन्नत है यानी पहले चेहरा धोना फिर हाथ धोना फिर मसह करना फिर पैर धोना और अगर इसके खिलाफ़ हुआ तो सुन्नत के खिलाफ़ होगा।  मस्लन अगर कोई पहले पैर धोये फिर हाथ फिर मुँह और फिर सर का मसह करे तो भी वुज़ू हो जायेगा लेकिन ये खिलाफे सुन्नत है। वुज़ू में जो सुन्नतें हैं उन को एक आध बार छोड़ दिया तो बुरा है और अगर आदत डाली तो गुनाह है। दाढ़ी के जो बाल चेहरे के दाइरे से नीचे हैं इन का मसह सुन्नत है और धोना मुस्तहब है। वुज़ू में ये भी सुन्नत है कि एक हिस्से के सूखने से पहले दूसरा हिस्सा धोया जाये। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️(पार्ट 26)* ✏️ अगर कोई हिस्सा इस तरह धोया कि पहली मर्तबा में कुछ धुला फिर दूसरी बार में कुछ और फिर तीसरी बार में कुछ मुकम्मल हुआ तो ये एक ही बार धोना कहा जायेगा और वुज़ू हो जायेगा लेकिन सुन्नत अदा ना होगी। मस्लन आपने चेहरा धोया और कोई हिस्सा बाक़ी रह गया फ़िर दूसरी बार और तीसरी बार धोने पर वो हिस्सा धुला तो ये एक बार चेहरा धोना ही गिना जायेगा। तीन बार धोने का मतलब है कि हर बार मुकम्मल चेहरा धुल जाये वरना सुन्नत अदा ना होगी। इस में चुल्लू की कोई गिनती नहीं है चाहे कितने ही चुल्लू पानी लेने पड़ें। पूरे सर का एक बार मसह करना सुन्नत है और कानों का मसह करना भी। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️(पार्ट 25)* ✏️ (18) मुँह धोते वक़्त दाढ़ी का खिलाल किया जाये यानी गर्दन की तरफ से उंगलियाँ दाखिल की जायें और सामने की तरफ़ से निकाली जायें, अगर एहराम बांधे हुये हों तो ऐसा ना करें। (19) हाथ पाऊँ की उंगलियों का खिलाल करें। पैर की उंगलियों का खिलाल हाथ की छोटी वाली उंगली से करें। उंगलियों का खिलाल इस तरह करें कि बायें पैर की छोटी वाली उंगली से अँगूठे की तरफ़ आयें और दायें पैर में अँगूठे से छोटी वाली उंगली की तरफ़ जायें। (20) जो हिस्से धोने के हैं उन्हें तीन मर्तबा धोयें और हर मर्तबा इस तरह धोयें कि कोई हिस्सा बाक़ी ना रहे वरना सुन्नत अदा ना होगी। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️(पार्ट 24)* ✏️ (13) अगर मिस्वाक ना हो तो उंगलियाँ या कोई ऐसा कपड़ा जो इस्तिमाल का नहीं है उसे दाँतों पर रगड़ लें और अगर दाँत नहीं हैं तो मसूड़ों पर कपड़ा या उंगली रगड़ लें। (14) नमाज़ के लिये मिस्वाक सुन्नत नहीं है बल्कि वुज़ू के लिये है लिहाज़ा अगर कोई एक वुज़ू से चंद नमाज़ें पढ़ता है तो एक मिस्वाक काफ़ी है जो उसने वुज़ू बनाते वक़्त किया था। हर नमाज़ के लिये वुज़ू का मुतालिबा नहीं है। (15) अगर मुँह में बदबू पैदा हो जाये तो उसे दूर करने के लिये मिस्वाक करना अलग सुन्नत है। (16) फिर तीन चुल्लू पानी से तीन मर्तबा कुल्ली करे और हर पुर्जे को धोये और रोज़ेदार ना हो तो गरगरा भी करे। (17) फिर तीन चुल्लू से तीन मर्तबा नाक में नर्म गोश्त तक पानी चढ़ाये और अगर रोज़ेदार ना हो तो जड़ तक पानी पहुँचाये और ये काम दाहिने हाथ से करे फ़िर बायें हाथ से नाक साफ करे। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️(पार्ट 23)* ✏️ (9) मिस्वाक दाहिने हाथ से करना चाहिये मिस्वाक इस तरह पकड़े कि सब से छोटी वाली उंगली मिस्वाक के नीचे और बीच की तीन उंगलियाँ मिस्वाक के ऊपर और अँगूठा सिरे पर नीचे हो और मुट्ठी ना बांधे। (10) दाँतों की चौड़ाई में मिस्वाक करना चाहिये लम्बाई में नहीं और चित लेट कर मिस्वाक नहीं करना चाहिये। (11) पहले दाहिनी जानिब ऊपर के दाँत मान्झें फिर बायीं तरफ़ ऊपर के फिर दायीं तरफ़ नीचे और फ़िर बायीं तरफ़ नीचे के। (12) मिस्वाक करने से पहले उसे धो लेना चाहिये और मिस्वाक करने के बाद भी धो कर रखना चाहिये। जहाँ भी रखें तो खड़ी कर के रखें और रेशे वाला हिस्सा यानी जिस तरफ़ से मिस्वाक करते हैं उसे ऊपर रखना चाहिये। *जारी है...........* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️(पार्ट 22)* ✏️ (6) अगर किसी शख्स पर हदस है यानी वुज़ू या गुस्ल उस पर लाज़िम है और उसने हाथ धो कर पानी में हाथ डाला तो पानी मुस्तमिल नहीं होगा क्योंकि जितना हिस्सा धोया गया उस पर अब हदस ना रहा और जिस पर गुस्ल फर्ज़ नहीं सिर्फ़ बे-वुज़ू है तो अगर उसने कोहनियों तक हाथ धोये हैं तो पानी में बगल तक हाथ डाल सकता है क्योंकि अब उसके पूरे बाज़ू पर हदस बाक़ी ना रहा लेकिन जिस पर गुस्ल फर्ज़ है वो उतना ही हाथ डाले जितना धोया है क्योंकि उस के पूरे जिस्म पर हदस है। (7) सो कर उठने के बाद हाथ धोने चाहिये। इस्तिन्जे से पहले भी और बाद में भी। (8) कम से कम तीन तीन मर्तबा ऊपर नीचे, दायें बायें दाँतों पर मिस्वाक करें और हर बार मिस्वाक को धो ले। मिस्वाक ना बहुत सख्त हो ना बहुत नर्म मिस्वाक पीलू, ज़ैतून या नीम की कड़वी लकड़ी की होनी चाहिये। किसी मेवे या खुशबूदार दरख्त की ना हो, मिस्वाक का साइज़ एक बालिश्त होना चाहिये, उससे ज़्यादा रखना सहीह नहीं है और मोटाई इतनी होनी चाहिये जितनी मोटी सब से छोटी वाली उंगली होती है। जब मिस्वाक इस्तिमाल के क़ाबिल ना रहे तो उसे ...

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 21)* ✏️ (5) अगर पानी बड़े बर्तन में है और छोटा बर्तन मौजूद है फिर भी हाथ पानी में डाला या उंगली या नाखून भी डाला तो पानी वुज़ू के क़ाबिल नहीं रहेगा वो माये मुस्तमिल हो जायेगा यानी उसे आप इस्तिमाल कर चुके हैं। हम बता चुके हैं कि नापाकी दो तरह की होती है एक छोटी और एक बड़ी तो दोनों से पाक होने के लिये अलग अलग तहारत है, दोनों तहारत में पानी की ज़रूरत होती है और एक बार पानी से नापाकी दूर कर ली जाये तो वो पानी फिर इस्तिमाल के क़ाबिल नहीं रहता। जो बे-वुज़ू हो और हाथ धुला हुआ ना हो तो वो अपना हाथ पानी में डालेगा तो ये पानी को मुस्तमिल कर देगा क्योंकि हदसे असगर (छोटी नापाकी) मौजूद हैं और जब छोटा बर्तन ना हो तो मजबूरी में डालने की इजाज़त दी गई है। ठंड में जो लोग लोटे में पानी ले कर उस में उंगली डुबा कर देखते हैं कि पानी कितना गर्म है तो इस से पानी मुस्तमिल हो जाता है और वुज़ू के क़ाबिल नहीं रहता लिहाज़ा इस में एहतियात ज़रूरी है वैसे नल वग़ैरह लग जाने से ये सूरत पेश नहीं आती। *जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 20)* ✏️साहिबे तरतीब किसे कहते हैं? अ़ल्लामा मुफ़्ती मुहम्मद रुक्नुद्दीन रहीमहुल्लाहु त'आला लिखते हैं कि अगर किसी शख़्स की 6 नमाज़ें फ़ौत (क़ज़ा) हो जायें तो वो साहिबे तरतीब नहीं रहा और जिस की 6 से कम नमाज़ें फ़ौत हुई हैं वो साहिबे तरतीब है। (فتاوی نظامیہ، ص64) साहिबे तरतीब वो शख्स है कि जब से बालिग़ हुआ यानी जैसे ही उस पर नमाज़ फ़र्ज़ हुई उस वक़्त से ले कर कभी नमाज़ क़ज़ा नहीं की और अगर क़ज़ा हो गयी तो उसे अदा कर लिया और अब उसके ज़िम्मे 5 वक़्त से ज़्यादा नमाज़ें क़ज़ा नहीं हैं। ऐसे शख्स के लिये कुछ मसाइल अलग हैं मुक़ाबिल उनके जो साहिबे तरतीब नहीं यहाँ बयान कर दिया गया कि साहिबे तरतीब कौन है ताकि आगे जब ये लफ्ज़ इस्तिमाल किया जाये तो समझने में परेशानी ना हो। ऊपर वित्र के हवाले से जो मसअला बयान हुआ वो अब मज़ीद अच्छी तरह समझ मे आ जाना चाहिए कि अगर साहिबे तरतीब ने वित्र नहीं पढ़ी तो वक़्त में गुंजाइश होने पर फ़ज्र की नमाज़ फ़ासिद है यानी पहले वित्र अदा करे फिर फ़ज्र। *✔️ जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 19)* ✏️ किसी जगह छाला था और वो सूख गया लेकिन चमड़ा जिस्म से जुदा नहीं हुआ तो उसे जुदा कर के पानी बहाना ज़रूरी नहीं है बल्कि उसी के ऊपर पानी बहा लेना काफ़ी है और फिर जुदा कर दिया तो उस पर पानी बहाना ज़रूरी नहीं। मछली का सिन्ना अगर चिपका रह जाये तो वुज़ू नहीं होगा क्योंकि पानी उसके नीचे नहीं बहता। अब हम वुज़ू की सुन्नतें बयान करेंगे। ये सुन्नत है यानी करना चाहिये और इन्हें छोड़ना सहीह नहीं लेकिन अगर छूट जाये तो भी वुज़ू हो जायेगा। वुज़ू में सुन्नतें :  (1) सवाब की निय्यत से और हुक़्मे इलाही बजा लाने की निय्यत से वुज़ू करना ज़रूरी है वरना वुज़ू तो हो जायेगा पर सवाब नहीं मिलेगा लिहाज़ा पहले निय्यत कर लेंं कि मै वुज़ू सवाब के लिये कर रहा हूँ और अल्लाह त'आला के हुक़्म की तामील कर रहा हूँ। *✔️ जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 18)* ✏️ आटा गूँदने वाले या वाली के हाथ में या कहीं नाखून में आटा जम जाये और सख्त हो जाये या पेंट का काम करने वालों के हाथों में रंग या पुट्टी या पेरिस या कोई और चीज़ जम जाये और सख्त हो जाये या लिखने वालों के हाथों में रौशनाई (इंक) लग जाये या मज़दूर के हाथ में गार, सीमेन्ट या वाइट सीमेन्ट वग़ैरह या आम लोगों की आँखों में सुरमा का जम जाना और इसी तरह बदन का मैल वग़ैरह होने के बावजूद अगर्चे उसके नीचे पानी ना जाये फिर भी वुज़ू हो जायेगा। इसे फिर से समझें कि जिस चीज़ की आदमी को उमूमन या खुसूसन ज़रूरत पड़ती रहती है और उसकी निगेहदास्त और अह्तियात में हरज हो तो नाखूनों के अंदर, ऊपर या किसी धोने के हिस्से पर लगे रह जाने से वुज़ू हो जायेगा अगर्चे उसके नीचे पानी ना बहे। ये इसीलिये है कि अगर ऐसा ना हो तो वुज़ू करने में बड़ी दुशवारी होगी। एक पेन्ट का काम करने वाला अगर अपने हाथों से मुकम्मल तौर पर कलर, पुट्टी, पेरिस वग़ैरह छुड़ाना शुरू करे तो रगड़-रगड़ कर नमाज़ का वक़्त चला जायेगा! *✔️ जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴...

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 17)* ✏️जिन हिस्सों पर पानी बहाना फर्ज़ है वहाँ ज़रूरी नहीं कि क़स्दन ही बहे बल्कि बिला क़स्द बह जाने से भी वुज़ू हो जायेगा। इसे आसान लफ्ज़ों में यूँ समझें कि जान बूझ कर ही पानी बहाने से नहीं बल्कि अनजाने में भी पानी बह गया तो वुज़ू हो जायेगा। मिसाल के तौर पर बारिश हुई और वुज़ू में धोये जाने वाले हिस्सों पर दो-दो बूँद पानी बह गया और एक चौथाई सर तर भीग गया तो वुज़ू हो गया अगरचे उसने वुज़ू करने की निय्यत नहीं की थी। अगर कोई तालाब में गिर गया और वो हिस्से भीग गये जो वुज़ू में धोना फर्ज़ हैं तो भी वुज़ू हो जायेगा। इसी तरह अगर कोई शख्स मुँह हाथ धोने के लिये गया ताकि फ्रेश हो सके और वुज़ू के हिस्सों को धो लिया अगरचे आगे पीछे ही हो और सर पर हाथ भिगा कर फेर लिया तो भी वुज़ू हो जायेगा। ऐसा इसीलिये है कि पानी ताहिर है यानी पानी की सिफत (Quality) है कि वो पाक करता है तो अब जान बूझ कर हो या अन्जाने में पानी पाक कर देता है जैसे आग की सिफत है जलाना तो जान बूझ कर आग में हाथ डालिये या अंजाने में हाथ तो जलना ही है। ऐसा तो नहीं है कि आप ये कहेंगे ...

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 16)* ✏️वित्र नमाज़ का बयान : भूल कर पहली या दुसरी रकाअ़त में क़ुनूत पढ़ ली तो तीसरी में भी पढ़े। जो बाद में जमाअ़त में शामिल हुआ वो इमाम के साथ क़ुनूत पढ़े और बाद में ना पढ़े और अगर इमाम के साथ वित्र की तीसरी रकाअ़त के रुकूअ़ में मिला है तो बाद में जो पढ़ेगा उस में क़ुनूत ना पढ़े। वित्र की नमाज़ शाफई के पीछे पढ़ सकता है बशर्ते कि दूसरी रकाअ़त के बाद सलाम ना फेरे वरना सहीह नहीं होगी और इस सूरत में क़ुनूत इमाम के साथ पढ़े यानी तीसरी रकाअ़त के रुकूअ़ से खड़े होने के बाद जब वो शाफई इमाम पढ़े। फ़ज्र की नमाज़ अगर शाफई के पीछे पढ़ी और उसने अपने मज़हब के मुताबिक़ क़ुनूत पढ़ा तो ये ना पढ़े बल्कि उतनी देर तक हाथ लटकाये खड़ा रहे। वित्र के इलावा और किसी नमाज़ में क़ुनूत ना पढ़े और अगर कोई बड़ा हादसा हो तो फ़ज्र में पढ़ सकता है और ज़ाहिर ये है कि फ़ज्र में रुकूअ़ से पहले क़ुनूत पढ़े। *✔️ जारी है......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 15)* ✏️ सर का मसहा करने के लिये हाथों का तर होना ज़रूरी है अब वो तरी हाथ धोने से हो या अलग से तर किया जाये। अगर हाथ की तरी से एक बार किसी हिस्से का मसहा कर लिया जाये तो फिर उस पर जो नमी बाक़ी रहती है वो दूसरे मसहा के लिये काफ़ी नहीं है लिहाज़ा अगर कोई हाथ की तरी से हाथ का मसहा कर लेता है तो सर के मसहा के लिये हाथ अलग से तर करना होगा। हाथों को तर करने के लिये जो कुछ लोग तीन तीन बार दोनों चुल्लू में पानी ले कर कोहनियों की तरफ़ बहाते हैं, ये वुज़ू का हिस्सा नहीं है। हाथ तर करना है तो बस धो लिया जाये, इस तरह करना मज़्कूर नहीं। अगर सर पर बाल ना हो तो जिल्द की चौथाई का मसहा करना है और अगर बाल हैं तो बालों का और उन बालों का जो सर पर हैं, जो लटक रहे हैं उन पर करना काफ़ी नहीं। *✔️ जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 14)* ✏️अब आते हैं वुज़ू के दूसरे फर्ज़ की तरफ़ यानी हाथ धोना। हाथ में कोहनियाँ भी दाखिल हैं अगर कोहनियों से ले कर नाखून तक एक ज़र्रा भी कहीं धुलने से बाक़ी रह जाये तो वुज़ू नहीं होगा, लिहाज़ा एहतिय्यात ज़रूरी हैं हाथ में गहने, छल्ले, कड़ा, कंगन, अँगूठी, चूड़ी वग़ैरह हों तो अगर इनके नीचे पानी नहीं जाता तो इसे उतार कर पानी बहाना फर्ज़ है वरना वुज़ू नहीं होगा और अगर हल्का ढीला है कि हिलाने से पानी चला जाता है तो हिलाना ज़रूरी है और अगर ज़्यादा ढीला है कि बगैर हिलाये पानी चला जाता है तो हिलाना भी ज़रूरी नहीं। उंगलियों की घैया, करवटें और नाखूनों के अंदर के ऊपर वाला हिस्सा फिर कलाई के बाल और हर गोशे को धोना ज़रूरी है। अगर किसी की पाँच से ज़्यादा उंगलियाँ हैं तो सबका धोना फर्ज़ है। अगर एक काँधे से दो हाथ निकले हुये हों तो जो पूरा हो सिर्फ़ उसे धोना फ़र्ज़ है। और अगर उस दूसरे हाथ का वो हिस्सा भी इस में शामिल है जिसे वुज़ू में धोना फर्ज़ है तो उसे भी धोना फर्ज़ है और अलग है तो फर्ज़ नहीं बल्कि मुस्तहब है यानी बेहतर है। इसके बाद अगला फर्ज़ है सर का ...

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 13)* ✏️ लबों (यानी होंटों) का वो हिस्सा जो आदतन (Normally) मुँह बन्द करने, चुप रहने पर दिखाई देता है उसे धोना फर्ज़ है, अगर किसी ने ज़्यादा बन्द कर लिया और उस पर पानी नहीं पहुँचा तो वुज़ू नहीं होगा (हाँ ये हो सकता है कि चेहरा धोते वक़्त ज़ोर से बन्द कर लिया हो जिसकी वजह से पानी नहीं पहुँचा लेकिन कुल्ली करते वक़्त पानी पहुँचा तो वुज़ू हो जायेगा) फिर भी एहतियात ज़रूरी है। रुख्सार और कान के बीच की जगह जिसे कनपटी कहते हैं, इसे भी धोना फर्ज़ है। औरतें ख्याल रखें कि नथ का सुराख अगर बन्द नहीं है तो उस में पानी बहाना फर्ज़ है और अगर तंग है तो पानी बहा कर नथ को हरकत दे (यानी हिलाये) वरना ज़रूरी नहीं। आँख के अंदर पानी डाल कर धोना ज़रूरी नहीं है बल्कि नहीं धोना चाहिये कि इस से नुक़सान है और वुज़ू करते वक़्त बहुत ज़ोर से आँखों को मींच लेना भी नहीं चाहिये क्योंकि इस से मुम्किन है चेहरे का चमड़ा सिमट कर एक हिस्सा बना ले जिस पर पानी ना पहुँचे। पलक का हर बाल धोना फर्ज़ है अगर इस में कोई सख्त चीज़ जमी हो तो उसे छुड़ाना ज़रूरी है। *✔️ जारी है........* ...

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 12)* मुँह धोना एक बार फर्ज़ है यानी जहाँ से बाल उगते हैं वहाँ से नीचे के दाँत उगने की जगह तक और एक कान की लौ से दूसरे कान की लौ तक, ये मुँह की हद (Boundaries) हैं। अब अगर कोई चंदला है यानी आधे सर के बाद बाल उगते हैं तो उस पर वहाँ तक धोना फर्ज़ नहीं बल्कि वहीं तक है जहाँ से आदतन (Normally) बाल उगते हैं और अगर किसी के ज़्यादा बाल उगते हैं यानी आदत से ज़्यादा हैं तो फिर जो ज़्यादा हैं उन की जड़ों तक धोना फर्ज़ है। मूँछ, दाढ़ी और बिच्ची (जो बाल होंटों और ठोड़ी के बीच होते हैं) और भवें अगर घनी हो कि जिल्द (चमड़ा) नज़र ना आता हो तो चमड़े का धोना फर्ज़ नहीं बल्कि बालों को धोना फर्ज़ है और अगर बाल घने ना हों तो जिल्द का धोना भी फर्ज़ है। अगर मूँछें घनी हों और बड़ी हों जो लबों (होंटों) को छुपा ले तो भी उन्हें हटा कर लबों को धोना फर्ज़ है। दाढ़ी अगर घनी ना हो और जिल्द नज़र आती हो तो जिल्द का धोना फर्ज़ है और अगर दाढ़ी बड़ी और घनी है तो गले की तरफ नीचे दबाने के बाद जो बाल चेहरे के अंदर आते हैं उन का धोना फर्ज़ है यानी उन बालों को धोना है जिल्द को ...

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 🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴  *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 01)* ✏️ नमाज़ हर मुकल्लफ़ पर फर्ज़ है। मुकल्लफ़ उसे कहते हैं जिस पर शरीअ़त का हुक्म लागू होता हो या जिस पर शरई हुक्म की पाबन्दी लाज़िम हो। अगर कोई नाबालिग है या पागल है तो वो मुकल्लफ़ नहीं यानी शरीअ़त का हुक्म उस पर लागू नहीं होता। ये ऐसा फर्ज़ है कि जो इस की फर्ज़िय्यत का इंकार करे यानी कोई कहे कि मैं नमाज़ को फर्ज़ नहीं मानता तो वो काफ़िर हो जायेगा। नमाज़ ना पढ़ना अलग बात है लेकिन इसे फर्ज़ ना मानना अलग बात है। जो जान बूझ कर नमाज़ छोड़ते हैं यानी कोई मजबूरी या उज़्र उन के पास नहीं होता तो ऐसा शख्स फासिक़ है। इस्लामी हुकूमत होती तो ऐसे लोगों को क़ैद करने का हुक्म है बल्कि क़त्ल करने का हुक्म भी है, इस से मालूम होता है कि नमाज़ की अहमिय्यत क्या है। *🔛 जारी है.....* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 11)* ✏️ पहले बात करते हैं तहारते सुगरा (यानी वुज़ू) और हदसे असगर यानी वुज़ू के तोड़ने वाली चीज़ों के बारे में। वुज़ू में 4 बातें फर्ज़ हैं यानी इन चारों का करना बहुत ज़रूरी है, अगर इन में से एक भी छूट जाये तो वुज़ू नहीं होगा। (1) मुँह धोना। (2) कोहनियों समेत दोनों हाथों का धोना। (3) सर का मसहा करना। (4) टखनों समेत दोनों पाऊँ को धोना। इनकी तफ़सील जानने से पहले ये जान लीजिये कि धोना किसे कहते हैं? किसी भी उज़्व (हिस्से, पार्ट) को धोने का ये मतलब है कि उस उज़्व के हर हिस्से पर कम से कम दो बूँद पानी बह जाये। अगर कोई हाथ भिगा कर चेहरे पर मल ले तो इसे धोना नहीं कहा जायेगा या कपड़ा भिगा कर मुँह पोछ ले तो भी धोना नहीं कहा जायेगा जब तक हर हिस्से पर कम से कम 2 बूँद पानी ना बह जाये तब तक वो उज़्व धुला हुआ क़रार नहीं दिया जायेगा। भीग जाना, तेल की तरह पानी मल लेना या एक बूँद बह जान अलग है और धोना लेना अलग है। इस पर खास तवज्जोह देना ज़रूरी है कि बाज़ हिस्से ऐसे हैं कि अगर तवज्जोह ना दी जाये तो वहाँ सहीह से पानी नहीं पहुँचता और गुस्ल और वुज़ू नह...

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 10)* ✏️ आसान लफ्ज़ों में ये समझिये कि पेशाब करने या हवा निकलने से भी इन्सान नापाक हो जाता है लेकिन ये नापाकी हदसे असगर होती है यानी छोटी वाली नापाकी और इसके लिये वुज़ू काफ़ी है। मनी निकलने पर भी इंसान नापाक हो जाता है लेकिन ये नापाकी हदसे अकबर होती है यानी बड़ी नापाकी और इस से पाक होने के लिये गुस्ल की ज़रूरत होती है। अब आप आसानी से समझ सकते हैं कि पेशाब करने या हवा निकलने से गुस्ल फर्ज़ नहीं होता क्योंकि ये हदसे असगर है। आपको वही एप्लाई करना है जिस की ज़रूरत है। कुछ लोगों के जिस्म से कुत्ता सट गया तो नहाना शुरू कर देते हैं, कीचड़ लग जाये तो समझते हैं कि नहाना होगा, पेशाब के क़तरे निकल गये तो समझते हैं कि गुस्ल फर्ज़ हो गया, सिर्फ़ मज़ी (मनी से पहले निकलने वाली चीज़) निकलने पर ये गुमान करते हैं कि गुस्ल फर्ज़ हो गया, हालाँकि ऐसा कुछ नहीं है। गुस्ल कब फर्ज़ होता है और कब वुज़ू काफ़ी होता है ये हम तफ़सील से बयान करेंगे, आपको बस ये क़ाइदा याद रखना है कि छोटी नापाकी के लिये वुज़ू और बड़ी नापाकी के लिये गुस्ल। अब छोटी नापाकी और बड़ी नापाकी...

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 09)* ✏️ अब जब आप ये इस्तिलाहात जान चुके तो फिर आते हैं नमाज़ की पहली शर्त तहारत की तरफ़। तहारत नमाज़ के लिये इतनी ज़रूरी है कि बगैर इस के नमाज़ होगी ही नहीं। अगर कोई जान बूझ कर नापाकी की हालत में नमाज़ पढ़ता है तो इसे उलमा ने कुफ्र तक लिखा है यानी वो काफ़िर हो जायेगा क्योंकि उसने नमाज़ को हल्का जाना और इबादत की तौहीन की। हुज़ूर ﷺ ने तहारत को नमाज़ की कुंजी बताया है। (मुस्नद अहमद) और तहारत की आधा ईमान कहा गया है। (तिर्मज़ी) अगर तहारत कामिल ना हो तो नमाज़ पढ़ाने वाले इमाम को भी परेशानी होती है मतलब नमाज़ के दौरान उसे शुब्हा होता है और फिर दो रकाअ़त के बाद बैठने के बजाये इमाम खड़ा हो जाता है या सलाम फेरने के बजाये खड़ा होने लगता है, इस की एक वजह ये भी है कि मुक़्तदियों की तहारत कामिल नहीं होती  ये तो तहारत कामिल ना होने की बात थी तो सोचिये कि जो नापाक हों उसका हुक्म कितना सख्त होगा? तहारत दो तरह की हैं और नापाकी भी दो तरह की, एक है तहारते सुगरा और एक है तहारते कुब्रा और नापाकी में एक को कहते हैं हदसे असगर और एक को हदसे अकबर यानी ए...

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 08)* ✏️ फर्ज़ का मुक़ाबिल (Opposite) हराम है, वाजिब का मकरूहे तहरीमी, सुन्नते मुअ़क्किदा का इसाअ़त, सुन्नते गैरे मुअ़क्किदा का मकरूहे तन्ज़ीही और मुस्तहब का खिलाफे अवला। इसका ये मतलब भी है कि जो काम फर्ज़ है उसे छोड़ना हराम है और जो हराम है उस से बचना फर्ज़ है। जो वाजिब है उस का तर्क मकरूहे तहरीमी है और जो मकरूहे तहरीमी है उस से बचना वाजिब है। जो सुन्नते मुअ़क्किदा है उसे छोड़ना इसा'अ़त है और इसा'अ़त से बचना सुन्नते मुअ़क्किदा है। जो सुन्नते गैरे मुअ़क्किदा है उसे छोड़ना मकरूहे तन्ज़ीही है और मकरूहे तन्ज़ीही से बचना सुन्नत। जो मुस्तहब है उस का उल्टा करना खिलाफे अवला है और खिलाफे अवला से बचना मुस्तहब है और आखिर में मुबाह है जिस का करना, ना करना एक जैसा है लेकिन कभी-कभी मुबाह अच्छी निय्यतों की वजह से मुस्तहब भी बन जाता है। इनका ताल्लुक़ नमाज़ से इस तरह भी है कि नमाज़ में फर्ज़ छूट जाने पर नमाज़ दोहराना फर्ज़ है, वाजिब छूट जाने पर नमाज़ दोहराना वाजिब है, सुन्नत छूट जाने पर सुन्नत और मुस्तहब छूट जाने पर मुस्तहब। *✔️ जारी है......

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🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 07)* ✏️ हराम : इस का एक बार भी करना गुनाहे कबीरा है, ये फर्ज़ के मुक़ाबिल है यानी जो फर्ज़ है उसे तर्क करना हराम और जो हराम है उस से बचना फर्ज़ है। मकरूहे तहरीमी : ये वाजिब के मुक़ाबिल है, इस का करने वाला भी गुनाहगार है, इस का गुनाह हराम से कम है लेकिन चंद बार इस का करना गुनाहे कबीरा है। इसा'अ़त : ये सुन्नते मुअ़क्किदा के मुक़ाबिल है, इस का करना सबबे इताब है यानी अल्लाह त'आला और उस के रसूल की नाराज़ी और आदतन करने पर अज़ाब। मकरूहे तन्ज़ीही : ये सुन्नते गैरे मुअ़क्किदा के मुक़ाबिल है, इस का करना शरीअ़त में नापसंद है लेकिन गुनाह नहीं अगर्चे आदतन हो। खिलाफे अवला : ये मुस्तहब के मुक़ाबिल है यानी इस का ना करना बेहतर था लेकिन किया तो कुछ नहीं। *✔️ जारी है......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है

🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴  *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀*  *✔️ (पार्ट 6)* ✏️ फर्ज़ : फर्ज़ उसे कहते हैं जो दलीले क़तई से साबित हो यानी ऐसी दलील जिस में कोई शुब्हा ना हो। फर्ज़ को अदा करना बहुत ज़रूरी है, इस को तर्क करने वाला सख्त गुनाहगार और अज़ाबे जहन्नम का मुस्तहिक़ है और जो इसका इन्कार करे वो काफ़िर है। वाजिब : वाजिब उसे कहते हैं जो दलीले ज़न्नी से साबित हो, इस का अदा करना भी ज़रूरी है और जो तर्क करे गुनाहगार है, इस का इन्कार करने वाला गुमराह है। सुन्नते मुअ़क्किदा : जो काम हुज़ूर ﷺ ने हमेशा किया हो, अलबत्ता बयाने जवाज़ के लिये कभी तर्क भी किया हो, उसे सुन्नते मुअ़क्किदा कहते हैं। इस का अदा करना ज़रूरी है और कभी कभार छोड़ने वाले पर इताब और आदतन छोड़ना इस्तिहक़ाक़े अज़ाब है। सुन्नते गैरे मुअ़क्किदा : वो जो शरीअ़त की नज़र में पसंदीदा हो लेकिन इसके छोड़ने पर कोई वईद भी नहीं। इस का करना सवाब लेकिन छोड़ने वाला गुनाहगार नहीं अगर्चे आदतन हो, हाँ इस का तर्क शरीअ़त को ना पसंद है। मुस्तहब : वो जो शरीअ़त की नज़र में पसंदीदा हो लेकिन इसे छोड़ना नापसंद भी ना हो। अगर्चे हुज़ूर ﷺ ने किया हो या तरगीब दी हो य...

नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है

🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 04)* ✏️ नमाज़ की पहली शर्त है तहारत यानी पाकी। नमाज़ पढ़ने वाला, उस का जिस्म नजासतों से, उस के कपड़े और जिस जगह नमाज़ पढ़ रहा है, सब का पाक होना ज़रूरी है। पाकी नापाकी के बहुत सारे मसाइल हैं, मस्लन हदसे अकबर क्या है? हदसे असगर क्या है? और इन के लिये कौन सी तहारत ज़रूरी है? फिर नजासते खफीफ़ा और गलीज़ा का फर्क़ भी जानना ज़रूरी है कि एक दिरहम और एक चौथाई का क़द्रे माना होना समझ आ जाये। अब हम नमाज़ की पहली शर्त यानी तहारत पर तफ़सील से कलाम करेंगे फिर दूसरी शर्त की तरफ़ बढ़ेंगे। सब से पहले आसान लफ्ज़ों में जान लीजिये कि नापाकी दो तरह की होती है, एक को हदसे असगर और एक को हदसे अकबर कहते हैं। इसे आप यूँ समझ लें कि एक छोटी नापाकी होती है जिसका हुक्म हल्का होता है और एक बड़ी नापाकी होती है जिसका हुक्म भारी होता है। छोटी नापाकी से पाकी हासिल करने के लिये तहारते सुगरा यानी वुज़ू काम आता है और बड़ी नापाकी को दूर करने के लिये तहारते कुबरा यानी गुस्ल। अगर छोटी नापाकी हुई तो छोटी तहारत से पाक होंगे और बड़ी नापाकी हुई तो बड़ी तहारत से पाक होंगे। *🔛 जार...

नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है

🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 05)* ✏️ तहारत के बारे में हम पूरी तफ़सील बयान करेंगे लेकिन उससे पहले कुछ इस्तिलाहात जान लें क्योंकि आगे इनका इस्तिमाल बहुत ज़्यादा होगा। शरीअ़त में हर काम एक जैसा नहीं है बल्कि उसे कई हिस्सों में बाँटा गया है, सब का नाम अलग है और सब का हुक्म भी अलग है। कुछ काम अच्छे हैं जिन्हें करने पर सवाब मिलता है और कुछ बुरे हैं जिनसे गुनाह मिलता है। हर अच्छा काम आपस में बराबर नहीं है यानी किसी में कम नेकी है तो किसी में ज़्यादा और इसी तरह हर बुरा काम भी आपस में बराबर नहीं है किसी में कम गुनाह है तो किसी में ज़्यादा। अच्छे काम 5 तरह के हैं। : (1) फर्ज़ (2) वाजिब (3) सुन्नते मुअ़क्किदा (4) सुन्नते गैरे मुअ़क्किदा (5) मुस्तहब और बुरे काम भी पाँच हैं। : (1) हराम (2) मकरूहे तहरीमी (3) इसा'अ़त (4) मकरूहे तन्ज़ीही (5) खिलाफे अवला और एक है "मुबाह" ये ना अच्छा है और ना बुरा यानी इस में सवाब भी नहीं और गुनाह भी नहीं। *✔️ जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है

🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 3)* ✏️ नमाज़ एक ऐसी इबादत है कि इस में नाइबत जारी नहीं हो सकती यानी आप किसी को अपना नाइब (Vice) नहीं बना सकते कि मेरे बदले में तुम पढ़ देना बल्कि जिस पर फर्ज़ है, उसे ही अदा करनी होगी। अगर किसी ने अपनी ज़िन्दगी में कई नमाज़ें क़ज़ा की और इन्तिक़ाल कर गया और वसीयत की कि उस की तरफ़ से फिदया अदा किया जाये तो ये किया जा सकता है और इसे आगे तफ़सील से बयान करेंगे। अब हम पहले नमाज़ के शराइत (Conditions) बयान करेंगे। इन शराइत में से किसी एक में भी कमी हुई तो नमाज़ होना तो दूर की बात, नमाज़ शुरू'अ़ ही नहीं होगी। ये ऐसी चीज़ें हैं कि अगर आप इन्हें पूरा करते हैं तो ही आप नमाज़ पढ़ने के क़ाबिल कहलायेंगे, वरना आप नमाज़ शुरू'अ़ ही नहीं कर सकते। फिर नमाज़ शुरू'अ़ हो जाने के बाद जो कंडीशन हैं (जिसे फराइज़े नमाज़) कहते हैं, वो अलग हैं। नमाज़ की 6 शर्तें हैं : (1) तहारत (2) सित्रे औरत (3) इस्तिक़्बाले क़िब्ला (4) वक़्त (5) निय्यत (6) तकबीरे तहरीमा अब इनकी तफ़सील बयान की जायेगी। *🔛 जारी है.......* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*
 🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️(पार्ट 02)* ✏️ नमाज़ के बारे में शरीअ़त का हुक्म ये है कि जब बच्चा 7 साल का हो जाये तो उसे नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा सिखायें (अगर खुद जानते हैं तो) आज कल जो खुद नहीं जानते वो भी दूसरों को सिखाने निकल पड़ते हैं। अगर आप नहीं जानते तो पहले अच्छी तरह सीख लें, ताकि बच्चे को सिखा सकें। जब बच्चा 10 साल का हो जाये तो उसे नमाज़ पढ़ने का कहें, उस पर नर्मी बर्तें और अगर ना माने तो सिद्दत इख्तियार करें और मार मार कर नमाज़ पढ़वायें। आज कल देखा ये जाता है कि लोग नमाज़ पढ़ने के लिये तो नहीं मारते लेकिन स्कूल भेजते वक़्त काफ़ी सिद्दत दिखाते हैं। हमने देखा है कि कई लोग अपने बच्चों को घसीट कर स्कूल ले जाते हैं लेकिन नमाज़ की बात आये तो बस इतना कह देंगे "बेटा नमाज़ पढ़ा करो" और इस से ज़्यादा कहने की हिम्मत इसीलिये भी नहीं करते क्योंकि दूसरों को कहने से पहले खुद को भी देखना ज़रूरी है। अब जो बाप खुद बे नमाज़ी हो, वो नमाज़ के लिये बेटे के साथ कभी मार पीट कर सकता है? बेटा भी पलट कर कह सकता है कि आप क्यों नहीं पढ़ते? नमाज़ के हवाले से नर्मी के साथ सख्ती की भी ...

नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है

 🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴  *🥀 नमाज़ हर मोमिन मुसलमान पर फर्ज है 🥀* *✔️ (पार्ट 01)* ✏️ नमाज़ हर मुकल्लफ़ पर फर्ज़ है। मुकल्लफ़ उसे कहते हैं जिस पर शरीअ़त का हुक्म लागू होता हो या जिस पर शरई हुक्म की पाबन्दी लाज़िम हो। अगर कोई नाबालिग है या पागल है तो वो मुकल्लफ़ नहीं यानी शरीअ़त का हुक्म उस पर लागू नहीं होता। ये ऐसा फर्ज़ है कि जो इस की फर्ज़िय्यत का इंकार करे यानी कोई कहे कि मैं नमाज़ को फर्ज़ नहीं मानता तो वो काफ़िर हो जायेगा। नमाज़ ना पढ़ना अलग बात है लेकिन इसे फर्ज़ ना मानना अलग बात है। जो जान बूझ कर नमाज़ छोड़ते हैं यानी कोई मजबूरी या उज़्र उन के पास नहीं होता तो ऐसा शख्स फासिक़ है। इस्लामी हुकूमत होती तो ऐसे लोगों को क़ैद करने का हुक्म है बल्कि क़त्ल करने का हुक्म भी है, इस से मालूम होता है कि नमाज़ की अहमिय्यत क्या है। *🔛 जारी है.....* 👑👑👑👑👑👑👑👑👑👑 *🏁 मसलके आला हजरत 🔴*

Pant Fold (Samet) Karke Namaz Padhna Kaisa

🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 Pant Fold (Samet) Karke Namaz Padhna Kaisa 🥀*                                                      *👖 Last Part:-* *KHAWARIJEEN KI EK SABSE AHEM NISHANI WO PAYJAMA UNHCA PAHNTE HAI BAHOT* *Hadees :* Hazrat Abu Saeed Khudari رَضِیَ اللهُ عَنْهُ Farmaatey Hain Ke Hazrat Ali KarramAllahu Ta’ala Waj’hahul Kareem رَضِیَ اللهُ عَنْهُ Ney Yaman Sey Rasoolullah صلى الله عليه و آله وسلم Ki Khidmat Mey Chamrey Key Thailey Mey Bhar Kar Kuchh Sona Bheja, Jis Sey Abhi Tak Mitti Bhi Saaf Nahin Kee Gayi Thi.Huzoor Nabi E Akram صلى الله عليه و آله وسلم Ne Woh Sona Chaar Aadmiyon Uyaina Bin Badar, Aqra’a Bin Haabis Aur Zaid Bin Khail Aur Chauthe Alaqma Ya Aamir Bin Tufail Key Darmiyan Taqseem Farma Diya. Is Par Aap صلى الله عليه و آله وسلم Key As’hab Mey Sey Kisee Ney Kaha : Un Logon Sey To Hum Zyada Haquedar They. Jab Yeh Baat Huzoor Nabi E Ak...

Pant Fold (Samet) Karke Namaz Padhna Kaisa

🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 Pant Fold (Samet) Karke Namaz Padhna Kaisa 🥀*                                                      *👖 Part:-05* *Ab jo log Libas Samet te hai Pant fold karna Aastin Chadana Unki Namaz ka SHARIAT me Hukm kya Hai ?* *Hadees 06 :* Hazrat Abdullah ibn Abbas رَضِیَ اللهُ عَنْهُ Se rivayat Hai Nabi e Rehmat صلى الله عليه و آله وسلم ne farmaya “Hume Hukm Huwa k 07 haddiyo Pe Sazda Karu aur Kapdo Ko Na Sametu aur Baalo Se Na kehlu” References : (Sahi Bukhari, Vol : 01, Kitab no 10 Kitabul Azaan, Baab : 7 Haddiyo Pe Sazde Ka Bayan, Hadees : 810 ‘English No : 774’)  (Sahi Bukhari, Vol : 01, Kitab no 10 Kitabul Azaan, Hadees : 815 & 816, ‘English No : 779 & 780 )  (Sahi Muslim, Vol : 01, Kitab No 04, Kitab US’salat, Hadees : 490, ‘English No : 993) (Sunan Nasai, Kitab No : 12 Kitab At Tatbik, Hadees : 1093,1113 & 111...

Pant Fold (Samet) Karke Namaz Padhna Kaisa

🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴🏁🔴 *🥀 Pant Fold (Samet) Karke Namaz Padhna Kaisa 🥀*                                                      *👖 Part:-04* Sayyidna Siddiq e Akbar ka sawal karna Ummat k liye rahat ka intezam hogya Sayyidna e Siddiq e Akbar Abu Bakr رضي الله عنه ka libas bhi niche latakta tha chunki Aap رضي الله عنه me takkabur na tha to ye wahid unpar nahi lagti jis se maloom huwa is maamle me Musalmaan ki niyat sabse ahem chiz hai. Niyat pe ek Hadees mulahiza kare  *Hadees 05 :* “Hazrat Umar Bin Khattab رَضِیَ اللهُ عَنْهُ Se Marwi Hai Ki Huzoor Nabi-E-Akram صلى الله عليه و آله وسلم Ne Farmaya Aamaal Ka Daaromadaar Niyyat Par Hai Aur Har Shakhs Ke Liye Wahi Hai Jis Kee Us Ne Niyyat Kee. (Sahi Al Bukhari, Vol : 01,Kitab Ul Imaan, Hadees : 54) 👉🏼 In motebar Hadees e sahi se kuch baata ka khulasa huwa jo yaha likh rhe hai hum. 1) Wo Libas Jahannam m...